देश

आसन पर विराजमान हुए रामलला….प्राण प्रतिष्ठा के तीसरे दिन का अनुष्ठान पूरा

(शशि कोन्हेर) : अयोध्या में जन्मभूमि पर बने राममंदिर में अचल विग्रह का गर्भगृह में प्रवेश हो गया। गणपति पूजन के साथ शिला के कमल दल पर रामलला प्रतिष्ठित कर दिए गए। इसके साथ ही पांच सौ साल का इंतजार पूरा हो गया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले तीसरे दिन भगवान का जलाधिवास शुरू हो गया है। जन्मभूमि स्थित राम मन्दिर में गुरुवार को दिन में 12:30 बजे के बाद रामलला की मूर्ति का प्रवेश कराया गया। दोपहर 1:20 बजे यजमान ने प्रधानसंकल्प लिया और वेदमन्त्रों की ध्वनि के बीच अनुष्ठान शुरू किया।

मूर्ति के जलाधिवास तक के कार्य गुरुवार को पूरे करा लिए गए। वहीं राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सीएम योगी ने बड़ा फैसला लिया है। सीएम योगी ने 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा के दिन पूरे प्रदेश में मांस-मछली की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। वहीं, मोदी सरकार ने केंद्रीय कार्यालयों में हाफ डे छुट्टी का ऐलान कर दिया है। लंच तक सभी कार्यालयों में छुट्टी रहेगी। दूसरी ओर राम मंदिर में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर रामनगरी में 22 जनवरी से पहले तीन प्रतिमाएं स्थापित किए जाने की तैयारी चल रही है। उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर महर्षि वाल्मीकि, गणेश कुंड के पास भगवान गणेश और हवाई अड्डे के निकट हाईवे पर भगवान सूर्य की प्रतिमा लगवाने में जुटी हुई है। अयोध्या में गुरुवार को अपराह्न एक बजे से गणपति पूजन किया गया। इसके साथ ही जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का प्रधान संकल्प लिया जाएगा। इसके बाद मात्रिका पूजन होगा। फिर पंचांग पूजन के बाद मंडप प्रवेश का आयोजन होगा। अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के तहत बुधवार को महिलाओं ने कलश यात्रा निकाली।

रामलला की अनुकृति का राम मंदिर परिसर में प्रवेश कराया गया। यह अनुकृति दस किलो की है। असली रामलला की मूर्ति का वजन ज्यादा होने के कारण इस छोटी मूर्ति का नगर भ्रमण और मंदिर प्रवेश कराया गया है। देर शाम रामलला की असली मूर्ति भी राममंदिर पहुंच गई। गुरुवार को रामलला गर्भगृह में पहुंच जाएंगे। इससे पहले यज्ञ मंडप के 16 स्तंभों और चारों द्वारों का पूजन भी हुआ। प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने सोमवार को ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में बताया कि 16 स्तंभ 16 देवताओं के प्रतीक हैं। इनमें गणेश, विश्वकर्मा, बह्मा, वरुण, अष्टवसु, सोम, वायु देवता को सफेद वस्त्रत्त् जबकि सूर्य, विष्णु को लाल वस्त्रत्त्, यमराज-नागराज, शिव, अनंत देवता को काले और कुबेर, इंद्र, बृहस्पति को पीले वस्त्रत्तें में निरुपित किया जाएगा। मंडप के चार द्वार, चार वेदों और उन द्वार के दो-दो द्वारपाल चारों वेदों की दो-दो शाखाओं के प्रतिनिधि माने गए हैं। पूर्व दिशा ऋग्वेद, दक्षिण यजुर्वेद, पश्चिम दिशा सामवेद और उत्तर दिशा अथर्व वेद की प्रतीक हैं। इनकी विधिवत पूजा के बाद चार वेदियों की पूजा होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button