पहले ही आदेश पर हो गया रार, 24 घंटे के भीतर फिर सुप्रीम कोर्ट दौड़ी केजरीवाल सरकार….केंद्र की शिकायत
(शशि कोन्हेर) : सर्विसेज पर नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच विवाद थमा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से मिले अधिकार के 24 घंटे के भीतर अरविंद केजरीवाल सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सर्विसेज सेक्रेटरी को हटाए जाने के आदेश को केंद्र सरकार से हरी झंडी नहीं दिए जाने की सूचना दी गई है। साथ ही कोर्ट को बताया गया है कि एलजी 2015 के नोटिफिकेशन को रद्द किए जाने को लेकर आधिकारिक आदेश का इंतजार कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि वह इसे अगले सप्ताह सूचीबद्ध किए जाने पर विचार करेंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद ही केजरीवाल सरकार ने पहली बड़ी कार्रवाई की। सेवा (सर्विसेज) विभाग मिलते ही प्रभारी मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सचिव आशीष मोरे को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश जारी किया। उनके स्थान पर अनिल कुमार सिंह की नियुक्ति का आदेश दिया। केजरीवाल सरकार की शिकायत है कि केंद्र सरकार इस आदेश को लागू नहीं करने दे रही है। दरअसल, केंद्र सरकार के जिस नोटिफिकेशन के तहत एलजी को सर्विसेज का प्रमुख बनाया गया था, वह अब तक रद्द नहीं हुआ है। संवैधानिक बेंच के फैसले के बाद इसे रेग्युलर बेंच को भेजा जाएगा जिसके आदेश के बाद नोटिफिकेशन को रद्द किया जा सकता है।
आम आदमी पार्टी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सचिव के ट्रांसफर के उसके आदेश को प्रभावी नहीं किया जा रहा है, क्योंकि एलजी मई 2015 के गृहमंत्रालय के नोटिफिकेशन को रद्द करने के कोर्ट के आधिकारिक आदेश का इंतजार कर रहे हैं। केजरीवाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जिस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच को बताया कि संवैधानिक पीठ के फैसले को जल्द से जल्द रेगुलर बेंच को भेजना होगा ताकि आधिकारिक रूप से नोटिफिकेशन को रद्द किया जा सके। एक अन्य वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि ट्रांसफर को तब तक प्रभावी नहीं किया जा सकता है जब तक नोटिफिकेशन को रद्द करने का आधिकारिक आदेश नहीं मिल जाता।
इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने ‘दिल्ली सरकार बनाम केंद्र’ विवाद में अहम फैसला दिया। सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली सरकार को अधिकारियों के तबादले और तैनाती से जुड़ा अधिकार दिया। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने कहा कि पुलिस, भूमि और कानून व्यवस्था को छोड़ अन्य विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण होगा। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा कि दिल्ली दूसरे केंद्रशासित प्रदेशों से अलग है, क्योंकि यहां चुनी हुई सरकार है।