गणेश चतुर्थी यानी 07 सितंबर दिन शनिवार को घर-घर गणपति बप्पा विराजेंगे। इस बार पर्व दुर्लभ ब्रह्म योग में मनाया जाएगा। ब्रह्म योग के साथ ही इंद्र योग, रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03:01 मिनट पर शुरू हो चुकी है और समापन शनिवार को शाम 05:37 मिनट पर होगा। जानें इस साल गणेश चतुर्थी पर बनने वाले दुर्लभ संयोग, ब्रह्म योग का समय, गणेश पूजन का शुभ समय-
गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ ब्रह्म व इंद्र योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। ब्रह्म योग देर रात 11:17 बजे तक रहेगा। इसके बाद इंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा। गणेश चतुर्थी पर भद्रावास का भी संयोग बन रहा है।
इस दिन भद्रा पाताल में रहेगी। इसके अलावा चित्रा नक्षत्र व हस्त नक्षत्र का संयोग बन रहा है। कुल मिलाकर इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर कई शुभ व दुर्लभ योग बन रहे हैं।
गणपति पूजा के बारे में बताया कि भगवान श्रीगणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। इसलिए गणेश जी की पूजा इस समय करना ही उत्तम मानी गई है।
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। पूजन की अवधि लगभग 02 घंटे 31 मिनट की है।
चतुर्थी के दिन भगवान श्रीगणेश को घर पर विराजित करते हैं। बप्पा को एक दिन, पांच दिन या दस दिन तक स्थापित किया जा सकता है। इसके बाद विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर विसर्जन करना चाहिए।