(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर : कल बुधवार को दोपहर बाद जिला कलेक्टर श्री सौरभ कुमार एकाएक बिलासपुर के बदनामशुदा रजिस्ट्री ऑफिस में औचक निरीक्षण के लिए जा पहुंचे। कलेक्टर के इस तरह एकाएक पहुंचने से रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारियों और वहां जड़ जमाए बैठे दलालों में हड़कंप मच गया। कलेक्टर श्री सौरभ कुमार ने रजिस्ट्री ऑफिस में जाकर वहां के दस्तावेजों का बारीकी से निरीक्षण किया। और रजिस्ट्री के सिस्टम को लेकर वहां मौजूद कर्मचारियों से कई तरह के सवाल किए।
मसलन उन्होंने पूछा कि एक बार आवेदन देने के बाद कितने दिनों के भीतर रजिस्ट्री हो जाती है। इस पर उन्हें बताया गया कि आवेदन मिलने के चार-पांच दिनों के भीतर रजिस्ट्री हो जाती है। सब कलेक्टर ने वहां मौजूद कई पुराने आवेदन दिखाते हुए पूछा फिर ये कैसे पडे हैं। तो उन्हें बताया गया कि कुछ मामलों में मौके पर जाकर जांच करनी पड़ती है इसलिए रजिस्ट्री की अनुमति देने में देर होती है।
जबकि सच्चाई है कि रजिस्ट्री के लिए तय जमीन का निरीक्षण करने आमतौर पर कोई नहीं जाते। और निरीक्षण करने की धमकी देकर क्रेता तथा विक्रेता से नुक्स निकालकर लंबी रकम ले ली जाती है। इस औचक निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने रजिस्ट्री ऑफिस के कई दस्तावेजों की जांच की। यहां तक कि उन्होंने ऑफिस की कई दराज भी खोलकर देखी।
इस औचक निरीक्षण के समय उनके साथ अनेक अधिकारी तथा कर्मचारी उनके साथ मौजूद रहे।
अब इस औचक निरीक्षण से कलेक्टर श्री सौरभ कुमार को रजिस्ट्री विभाग की नस- नाड़ी के बारे में जो भी जानकारी मिली हो.. लेकिन यह जग जाहिर है कि बिलासपुर के रजिस्ट्री उप पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री के लिए आने वालों का किस तरह शोषण किया जाता है। यहां बैठे उप पंजीयक और उनके खासमखास कर्मचारियों के द्वारा आम जनता का जिस तरह खून चूसा जाता है.. वैसा उदाहरण और कहीं नहीं मिलेगा।
यहां पदस्थ उप पंजीयक आमतौर पर आफिस से गायब रहते है। उन्हें दफ्तर के कामकाज से कोई बहुत अधिक लेना देना(लेना है देना नहीं) नहीं है। इसे कारण रजिस्ट्री ऑफिस में भर्राशाही व्याप्त है। जानकारी मिली है कि आज जब कलेक्टर सौरव कुमार औचक निरिक्षण के लिए वहां पहुंचे तब भी उप पंजीयक रजिस्ट्री हमेशा की तरह अपने दफ्तर में मौजूद नहीं थे। (वीडियो महेश तिवारी)