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यूक्रेन के इस मिसाइल से घबराया रूस

(शशि कोन्हेर) : रूस यूक्रेन जंग के बीच पश्चिमी देश डेनमार्क ने यूक्रेन को एंटी शिप हार्पून मिसाइलों की डिलीवरी की है। इन मिसाइलों से दुनिया की कोई भी ताकतवर सेना घबड़ाती है। उधर, रूस ने भी अपने सैन्‍य जखीरों में खतरनाक मिसाइलों को शामिल किया है। वह इन खतरनाक शस्‍त्रों का इस्‍तेमाल इस युद्ध में खुलकर कर रहा है।

ये हार्पून मिसाइलें कई देशों की सेना में तैनात हैं। यूक्रेन इन मिसाइलों को ओडेसा बंदरगाह पर तैनात करने की योजना बना रहा है। यूक्रेनी रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने कहा कि इस मिसाइल के मिलने से यूक्रेनी नौसेना की ताकत में इजाफा होगा। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या ये हार्पून मिसाइल युद्ध का रुख बदल सकती है। क्‍या है इन मिसाइलों की खूबियां।

1- रूस और यूक्रेन के बीच 94 दिनों से युद्ध जारी है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच घमासान जारी है। यूक्रेन को अमेरिका और पश्चिमी देश सैन्‍य मदद कर रहे हैं। इस क्रम में डेनमार्क ने यूक्रेन को एंटी शिप हार्पून मिसाइल की आपूर्ति शुरू कर दी है। यूक्रेन की सेना में इन मिसाइलों के शामिल होने से काला सागर में यूक्रेन की सैन्य ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी।

बता दें कि हार्पून दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में एक है। कई युद्धों के दौरान उसने अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। एक हार्पून मिसाइल 221 किलोग्राम वॉरहेड के साथ दुश्मन के युद्धपोत को निशाना बनाने में सक्षम है। इन हार्पून मिसाइल को ओडेसा बंदरगाह से संचालन किया जाएगा। इस बंदरगाह की सुरक्षा में पहले से ही नेप्च्यून मिसाइलें तैनात हैं। ऐसे में हार्पून और नेप्च्यून मिसाइलों का संचालन एक साथ किया जाएगा।

2- यह मिसाइल एक्टिव रडार होमिंग का उपयोग करती है और दुश्मन के रडार से बचने के लिए पानी के ठीक ऊपर उड़ती है। हार्पून मिसाइल को मैकडानेल डगलस (अब बोइंग डिफेंस, स्पेस एंड सिक्योरिटी) ने विकसित किया है। यह दो वेरिएंट में आता है, जिसमें पहला AGM-84E स्टैंडऑफ लैंड अटैक मिसाइल और दूसरा AGM-84H/K SLAM-ER स्टैंडऑफ लैंड अटैक क्रूज मिसाइल है।

इस मिसाइल को फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट, युद्धपोत, पनडुब्बी और तट पर तैनात कोस्टल डिफेंस बैटरी के जरिए लांच किया जा सकता है। हालांकि, इन सभी प्लेटफार्म से लांच होने वाली मिसाइलों में इंजन अलग-अलग होता है। यह मिसाइल 1977 से अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों की नौसेना में तैनात है।

3- अभी तक इस मिसाइल के 7500 यूनिट का निर्माण किया जा चुका है। बूस्टर समेत एक मिसाइल का वजन 691 किलोग्राम होता है। इसकी लंबाई 12.6 फीट और डायामीटर 13.5 इंच का होता है। एक मिसाइल अपने साथ 221 किलोग्राम तक का वारहेड लेकर जा सकती है। हार्पून मिसाइल 867 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकती है। हार्पून मिसाइल की एक यूनिट की कीमत 1,406,812 डालर है।

यूक्रेन को क्‍यों जरूरत पड़ी हार्पून मिसाइल की

दरअसल, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस ने यूक्रेनी बंदरगाहों की जबरदस्‍त घेराबंदी की थी। इस कारण यूक्रेन को न सिर्फ अनाजों का निर्यात बंद करना पड़ा, बल्कि समुद्री रास्ते से हथियारों और दूसरे जरूरी सामानों का आयात भी रोकना पड़ा। रूस ने यूक्रेन के खिलाफ मिसाइल हमले शुरू करने के लिए अपने काला सागर बेड़े का भी इस्तेमाल किया। हालांकि बाद में यूक्रेन ने ब्रिटेन से मिले नेप्च्यून मिसाइलों से रूस के सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक मोस्कवा को डूबो दिया था।

यूक्रेन ने कहा- हार्पून मिसाइलों से मजबूत होगी सेना

उधर, यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने सोशल मीडिया पर कहा कि हमारे देश की तटीय रक्षा को न केवल हार्पून मिसाइलों से मजबूत किया जाएगा, बल्कि उनका उपयोग प्रशिक्षित यूक्रेनी टीमों के जरिए किया जाएगा।

उन्‍होंने कहा कि हार्पून मिसाइलों की आपूर्ति कई देशों के बीच सहयोग का परिणाम थी। उन्होंने कहा कि डेनमार्क से इस मिसाइल की डिलीवरी हमारे ब्रिटिश मित्रों की सहायता से हुई है। वहीं, अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने कहा कि डेनमार्क यूक्रेन को एक हार्पून लांचर और मिसाइलें मुहैया कराएगा।

रूस ने तैनात की इस्कंदर और हाइपरसोनिक मिसाइलें

उधर, यूक्रेन जंग के दौरान रूस अपनी इस्‍कंदर और हाइपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती की है। रूस कि सरमत ऐसी मिसाइल है जो किसी बड़े महाद्वीप का आधा तट ध्वस्त कर सकती है। रूस की सरमत एक इंटरकान्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है।

यह 15,880 मील प्रति घंटे की रफ्तार से लक्ष्‍य को तबाह करने में सक्षम है। इसके साथ ही विनाशकारी Satan-2 को जल्‍द ही युद्धबेड़े में शामिल किया जाएगा। रूस ने कहा कि इस्कंदर और हाइपरसोनिक किंझल मिसाइलों का भी उत्पादन कर रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन में रूसी सेना के शर्मनाक प्रदर्शन के कारण रूसी अधिकारी परमाणु हमले की धमकियां दे रहे हैं।

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