(शशि कोन्हेर) : जिले के रतनपुर में रेप पीड़िता की मां पर काउंटर केस दर्ज करने का मामला शांत नहीं हो रहा है। सोमवार को सर्व ब्राह्मण समाज ने नेहरु चौक से रैली निकालकर कलेक्टोरेट का घेराव किया और जमकर हंगामा मचाया। इस दौरान कलेक्टर सौरभ कुमार ने केस में पुलिस की भूल मानी है और जांच कर पीड़िता को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है।
समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि बवाल मचने के बाद मामले को दबाने के लिए TI को लाइन अटैच किया गया है। वहीं, जांच कमेटी बनाकर गंभीर केस को ठंडा करने की साजिश चल रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच पर उन्हें भरोसा नहीं है। जांच कमेटी में एक भी महिला अफसर नहीं है। ऐसे में पूरे कांड की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
दुष्कर्म पीड़िता की मां के खिलाफ काउंटर केस दर्ज कर उसे जेल भेजने के बाद विश्व हिंदू परिषद के साथ ही हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रविवार को रतनपुर में तनाव और बंद को देखते हुए पुलिस बल तैनात है।
इधर, सोमवार को समग्र ब्राह्मण समाज के लोग नेहरु चौक में एकत्रित हुए और रैली निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचे। यहां हंगामा मचाते हुए जमकर नारेबाजी की है। साथ ही पीड़िता की मां को बिना शर्त जेल से बाहर निकालने की मांग की।
कलेक्टोरेट में दिया धरना, कलेक्टर ने मानी चूक
इस दौरान कलेक्टोरेट का घेराव करने पहुंचे समाज के लोग परिसर में ही धरने पर बैठकर हंगामा मचाते रहे। उस समय कलेक्टर सौरभ कुमार अपने दफ्तर से बाहर थे। समाज के लोग कलेक्टर से मिलने पर ही अड़े रहे। लिहाजा, कलेक्टर सौरभ कुमार अपने दफ्तर पहुंचे।
समाज के पदाधिकारियों ने उन्हें इस पूरे केस की जानकारी दी और पीड़िता की मां के खिलाफ दर्ज केस निरस्त कराने की मांग की। समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि कलेक्टर सौरभ कुमार ने मामले में गंभीरता दिखाई है और पुलिस की भूल बताई है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस केस को देख रह हैं और बहुत जल्द महिला को न्याय दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
पदाधिकारी बोले- पुलिस जांच पर भरोसा नहीं, पूरे कांड की हो न्यायिक जांच
इधर, समाज के पदाधिकारियों ने पूरे कांड की निष्पक्ष और न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि महिला पर आरोप लगा है और पुलिस ने जांच के लिए जो कमेटी बनाई है, उसमें पुलिस अफसर को ही शामिल नहीं किया गया है। जांच कमेटी पर यह भी सवाल है कि कमेटी में सभी अफसर DSP रैंक के हैं, जो टीआई के खिलाफ जांच नहीं कर सकते।
कमेटी में आईपीएस अफसर भी होना चाहिए था। पहली बार जब यह केस आया, तब इसकी सूक्ष्मता से जांच होनी चाहिए थी। पाक्सो एक्ट जैसे गंभीर केस दर्ज करने से पहले पुलिस ने सुनियोजित और षडयंत्र तरीके से कार्रवाई की है। ऐसे में पुलिस की कमेटी पर भी भरोसा नहीं है और मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।