बिलासपुर

(देखें फोटो)-स्मार्ट सिटी के काम में सरासर भ्रष्टाचार और लंबी माण्डवली का आरोप….! ये रहा प्रमाण…

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। बिलासपुर शहर में स्मार्ट सिटी के नाम पर आवंटित पैसों को पानी के मोल बहाया जा रहा है। ना तो उस काम की गुणवत्ता को लेकर कोई चिंता की जा रही है और ना ही काम में बढ़ती जा रही इमानदारी की। स्मार्ट सिटी के काम की निगरानी कर रहे लोग क्या यह बताएंगे कि वह अपने नाली-नाले अथवा सड़क तथा सौंदर्यीरीकरण के कार्य में बाधक बन रहे निजी निर्माण को तोड़ने के मामले में निष्पक्ष काम कर रहे हैं..?

कायदे से उन्हें करना तो निष्पक्ष ही चाहिए। लेकिन जमीनी सच्चाई इसके ठीक विपरीत है। स्मार्ट सिटी के काम की निगरानी करने वाले अफसर यह बता सकते हैं कि जब गांधी चौक में नाली निर्माण के कार्य में की गई नाप जोख के बाद कई लोगों के पक्के चबूतरे और निर्माण, तोड दिये गये या। लेकिन वहीं ठीक गांधी चौक पर पुराने किरण लाज और पाठक निवास के ठीक बगल से लगे एक भवन के नाली के भीतर खड़े पिल्हर (खंभा स्तंभ) को क्यों सुरक्षित छोड़ दिया गया। जबकि यह पिलर और उसके ऊपर खड़ा निर्माण पूरी तरह बेजा कब्जा और नाली निर्माण में बाधक दिखाई दे रहा है। इसे बचाने के लिए एक सीध से बनती आ रही नाली को मोड़ने की साजिश की जा रही है। हमने इस बाबत नाली निर्माण के काम में लगे ठेकेदार और वार्ड के पार्षद से भी बात की। लेकिन दोनों का गोल गोल जवाब यह शक पैदा कर रहा है कि इस मामले में जरूर कोई ना कोई गड़बड़ी है। स्मार्ट सिटी की ओर से किए जा रहे नाला नाली निर्माण का काम में “माथा देखकर चंदन लगाने” जैसा काम नहीं हो सकता। तब फिर गांधी चौक के आसपास रहने वाले लोगों के इन सवालों का जवाब स्मार्ट सिटी का कौन सा अफसर या ठेकेदार देगा..! जिसमें वे पूछ रहे हैं कि क्या नाली निर्माण के ठीक बीच में आ रहे एक व्यक्ति के भवन के पिल्हर और उस पर खड़ा भवन बेजा कब्जा नहीं है..? और क्या यह भवन नाप जोख के हिसाब से नाली निर्माण के आड़े नहीं आ रहा है..? और दूसरे सीधे बनते आ रही नाली को इसी शख्स के भवन के सामने क्यों रोक दिया गया है..? तीसरा.. क्या नाली निर्माण का काम करने वाले ठेकेदार और अफसर यहां नाली को घुमा कर अथवा बताए जा रहे शख्स के भवन को छूट देकर संदिग्ध रुप से कोई उपकार करना चाहते हैं..? और तीसरा कि नाली निर्माण के आड़े आ रहे इस भवन के निर्माण को तोड़फोड़ से बचाने के लिए कोई लंबी रकम अथवा माण्डवली का मामला है क्या..?

अब आखरी सवाल हम अपनी ओर से पूछ रहे हैं कि अगर ऐसा नहीं है तो गांधी चौक में सड़क के किनारे बन रही नाली आखिर एक शख्स के भवन के पास जाकर क्यों अटक गई। और नाली निर्माण का काम देख रहे अफसर तथा ठेकेदार यहां क्यों घुटने टेकते दिख रहे हैं..?

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