छत्तीसगढ़

जैन समाज के दशलक्षण पर्व का सातवां दिन …आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना ही तप – पंडित आशीष शास्त्री

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर । दशलक्षण पर्व का सातवां दिन उत्तम तप का दिन रहता है।  आत्म शुद्धि के लिये इच्छाओं का रोकना ही तप है। मानसिक इच्छायें साँसारिक बाहरी पदार्थों में  चक्कर लगाया करती हैं अथवा शरीर के सुख साधनों में केन्द्रिय रहती हैं।

अतः शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं। यह बातें श्री श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर से पधारे पंडित आशीष जी शास्त्री ने उत्तम तप धर्म सभा में कही।

उन्होंने श्रावकों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए बताया कि शरीर को प्रमादी न बनने देने के लिये बहिरंग तप किये जाते हैं और मन की वृत्ति आत्म-मुख करने के लिये अन्तरंग तपों का विधान किया गया है। दोनों प्रकार के तप आत्म शुद्धि के अमोध साधन हैं। जैन दर्शन की किताबों से उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ‘इच्छानिरोधस्तपः’ अर्थात इच्छाओं का निरोध/अभाव/नाश करना, तप है।

वह तप जब आत्मा के श्रद्धान (सम्यग्दर्शन) सहित होता है, तब ‘उत्तम तप धर्म’ कहलाता है। प्रत्येक दशा में तप को महत्त्वपूर्ण माना है। जिस प्रकार, स्वर्ण अग्नि में तपाए जाने पर अपने शुद्ध स्वरूप में प्रगट होता है; उसी प्रकार, आत्मा स्वयं को तप-रूपी अग्नि में तपाकर अपने शुद्ध स्वरूप में प्रगट होती है। मात्र देह की क्रिया का नाम तप नहीं है अपितु आत्मा में उत्तरोत्तर लीनता ही वास्तविक ‘निश्चय तप’ है। ये बाह्य तप तो उसके साथ होने से ‘व्यवहार तप’ नाम पा जाते हैं।

क्रांतिनगर मंदिर जी में दशलक्षण पर्व के प्रथम दिवसीय से प्रारम्भ हुए श्री चौबीसी विधान का उत्तम शौच धर्म के दिन समापन हुआ। सायंकालीन सामायिक में सम्मिलित होकर समाज के लोग धर्म लाभ ले रहे हैं। आत्म शुद्धि के इस महापर्व में जैन समाज के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी धर्म प्रभावना में लगे हुए हैं।

प्रतिदिन सायं 4:00 बजे व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आयोजित होने वाली धार्मिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आओ ज्ञान बढ़ाये में सभी लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। सभी लोगों को  4:00 बजे का इंतजार रहता है कि कब ए प्रतियोगिता प्रारंभ हो और हम उसका जवाब दें।

संध्याकालीन आरती के पश्चात पंडित जी के प्रवचन होते हैं, इसके उपरांत पंडित जी द्वारा धर्म प्रभावना से संबंधित सवाल बच्चों से पूछे जाते हैं और सही जवाब देने पर बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है।

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