योगी सरकार को झटका….कांवड़ यात्रा रूट में दुकान मालिकों का नाम लिखने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, ढाबा, रेस्तरां, फल और खान-पान की दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के दो जज जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की याचिका पर नाम लिखने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका दाखिल करने वालों ने इसे आर्टिकल 15 का उल्लंघन बताया है जो धर्म या जाति के आधार पर किसी भी भेदभाव को गैर-कानूनी बनाता है।
कांवड़ यात्रा रूट पर दूसरे धर्म के दुकानदारों से कांवड़ियों की किसी भी वजह से संभावित बहस और झगड़े की पुरानी घटनाओं के मद्देनजर योगी सरकार ने दुकानों पर मालिक का नाम लिखवाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में होटल और ढाबा में काम करने वाले मुसलमानों को काम से हटा दिया गया। जिन मुसलमानों ने हिन्दू समझ आने वाले नाम से ढाबा खोल रखा था, उन्हें बदलकर ऐसा नाम रखने कहा गया है जिससे कांवड़ियों को समझ आ जाए कि ये ढाबा हिन्दू का नहीं है।
योगी सरकार के फैसले का विपक्ष के साथ-साथ एनडीए में भाजपा के सहयोगी भी विरोध कर रहे हैं। भाजपा के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इसका खुलकर विरोध किया है। अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, मायावती, असदुद्दीन ओवैसी समेत अनेक विपक्षी नेताओं ने इसे धार्मिक भेदभाव और सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ाने वाला बताते हुए आदेश वापस लेने की मांग की है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू, लोजपा-आर और आरएलडी ने भी इसका विरोध किया है और इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। जेडीयू और लोजपा तो बिहार की पार्टियां हैं लेकिन जयंत चौधरी की आरएलडी का पूरा प्रभाव इसी इलाके में है और उसका आधार वोट जाट और मुसलमान हैं। जयंत चौधरी ने इसे फैसले पर तंज कसते हुए कहा है कि क्या अब कुर्ते पर भी नाम लिखवा लें। उन्होंने कहा है कि कांवड़ियां जाति या धर्म देखकर सेवा नहीं लेते। उन्होंने कहा कि सरकार ने चूंकि फैसला कर लिया है इसलिए अब पीछे नहीं हट रही लेकिन अब भी समय है कि इस फैसले को वापस लिया जाए।