लोरमी में अभी भी “सिंग इज़ किंग”
(शशि कोन्हेर) : आज लोरमी नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव, जिस तरह औंधे मुंह गिरा… उसने एक बार फिर साबित कर दिया है कि लोरमी में अभी भी “सिंह इज़ किंग”..! श्री धर्मजीत सिंह समर्थक जिस नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था..। उनके पास उनके अपने केवल 3 पार्षद ही हैं।
जबकि 15 सदस्यीय लोरमी नगर पंचायत में कांग्रेस के छह पार्षद हैं। भारतीय जनता पार्टी के 5 पार्षद और जोगी कांग्रेस के केवल 1 पार्षद हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने इस उम्मीद से नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा था कि सिर्फ तीन पार्षद ही अध्यक्ष के अपने हैं।। भाजपा का मानना था कि कांग्रेस के छह पार्षद अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हुए अंकिता रवि शुक्ला के खिलाफ मतदान कर सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव के पहले अगर ठीक से होमवर्क किया होता तो उसे जानकारी हो जाती कि लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह की प्रभावी छाया के चलते कांग्रेस के पार्षद भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किसी भी हालत में नहीं करेंगे। लेकिन भाजपा के स्थानीय नेताओं का गणित यह था कि भाजपा के अपने पांच पार्षद, जोगी कांग्रेस का एक पार्षद और कांग्रेस के छह पार्षद अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। जबकि मात्र 3 पार्षद नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के पक्ष में अविश्वास प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं। लेकिन जैसा कि हम पहले भी कह चुके हैं लोरमी में अभी भी सिंह इज़ किंग..!
और इस अविश्वास प्रस्ताव के मामले में वही साबित भी हुआ। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए निर्धारित बैठक के कुछ घंटे पहले ही नेपथ्य में सक्रिय हुए लोरमी विधायक श्री धर्मजीत सिंह के कारण भाजपा के बिछाए सारे मोहरे बिखर गए। और कांग्रेस के 6 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट देने की बजाय धर्मजीत सिंह समर्थक नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के समर्थन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान के लिए बुलाई गई बैठक में ही नहीं जाने का निर्णय लिया।
जिससे केवल 6 सदस्य ही (एक जोगी कांग्रेस और पांच भाजपा) बैठक में मौजूद उपस्थित हुए और 8 से भी कम सदस्य उपस्थित होने के कारण अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान ही नहीं हो सका और वह मतदान के पहले ही ध्वस्त हो गया। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव का मतदान के पहले ही कफन दफन हो गया ।
इस अविश्वास प्रस्ताव के परिप्रेक्ष्य में श्री धर्मजीत सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष अंकिता रवि शुक्ला के साथ अपने समर्थक तीन पार्षदों को एकजुट बनाए रखने के साथ ही कांग्रेस के 6 पार्षदों को भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ भूमिका निभाने के लिए सहमत करने में सफल हुए। यहां यह बताना लाजिमी है कि श्री धर्मजीत सिंह ठाकुर लोरमी विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं।
इसमें से तीन बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में और एक मर्तबा जोगी कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने विजयश्री हासिल की है। उनके इस या उस पार्टी में जाने की चर्चाओं के बीच यह बात साफ दिखाई दे रही है कि लोरमी शहर और विधानसभा क्षेत्र में श्री धर्मजीत सिंह ही,अभी भी राजनीति की मुख्यधारा माने जाते हैं। और वहां विभिन्न राजनीतिक दलों के अधिकांश मैदानी कार्यकर्ता और नेता, राजनीति की इसी मुख्यधारा के साथ बने रहना चाहते हैं। हम इसीलिए एक बार फिर कहते हैं कि लोरमी में अभी भी “सिंह इज किंग”..!