बिलासपुर

पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में विशेष निर्वासित तिब्बती सांसदों द्वारा विशेष व्याख्यान का आयोजन

बिलासपुर – दिनांक 03/02/2024 को पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में विशेष निर्वासित तिब्बती सांसदों द्वारा विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।जिसका स्वागत भाषण प्रो. शोभित बाजपेयी जी ने दिया उन्होंने तिब्बत के निर्वासित और तिब्बती लोगों की समस्या पर प्रकाश डाला।शुभम शेण्डे, प्रदेश महामंत्री युवा विभाग उन्होंने कहा भारत और तिब्बत के संबंध को मजबूतकरने का कार्य भारत तिब्बत सहयोग मंच लगातार कर रहा है। उन्होंने तिब्बत के नागरिकोंके जीवन को अत्यंत संघर्ष पूर्ण बताया। जो चीन के नीतियों का परिणाम है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में निर्वासित तिब्बती सांसद श्रीमती तेनजिन च्वेजिन ने कहा कि तिब्बत की समस्या को रखते हुए उन्होंने बताया कि तिब्बती नागरिकों की यथा स्थितिअत्यंत दयनीय है। जिसकी खबर चीन की दमनकारी नीति के कारण बाहर निकलकर नहींआ पाती। तिब्बती नागरिकों की ऐसी अनेक समस्याएं है जो मुख्य धारा तक नहीं पहुंच पातीहै। चीन की नीति के कारण तिब्बती लोग अपने राष्ट्र के पहचान को मना नहीं पाते। साथ हीचीन तिब्बत के भौगोलिक नक्शे से भी खिलवाड़ करती आ रही है। मैडम ने चीन की फाइफफिंगर नीति पर विशेषतौर पर बल दिया। उन्होंने ने यह भी बताया तिब्बत में मानव अधिकारनहीं के समान है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. बंशगोपाल सिंह भारत और तिब्बत के संबंधभौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से दो हजार वर्ष पूर्व भी था। विशेषतौर वैचारिक दृष्टि सेभारत और तिब्बत का संबंध अत्यंत मजबूत रहा है। इसको खंडित करने के लिए चीन हमेशासे विस्तार वादी नीति के तहत् कार्य करता आ रहा है। उन्होंने ने यह भी कहा कि जिनसंस्कृति में आग होती है वह हमेशा जीवित होती है और जिन संस्कृतियों में आग नहीं होतीवह समय के साथ मिट जाती है। तिब्बती संस्कृति में आग है जिनका संघर्ष लंबा हो सकता है।किन्तु आगे बदलाव जरूर होगा। कुलपति जी ने भारत और तिब्बत के अटूट संबंध पर प्रकाशडाला।

इस समारोह के दौरान तिब्बत से निर्वासित सांसद वेन गेशे नगाबा गंगरी, तेनजिन चवेजिन एवं कैलाश गुप्ता प्रदेश अध्यक्ष भारत सहयोग मंच, शुभम शेन्डे, प्रदेश महामंत्री युवाविभाग आदि शामिल हुये तथा मंचस्थ अतिथियों को स्मृति चिन्ह शाल श्रीफल भेंट किया गया।

इस कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन प्रो. शोभित बाजपेयी ने दिया। जिसमें भारी संख्या में अन्य विभागों के कर्मचारी / अधिकारी / शिक्षकगण शामिल हुये।

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