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डंडा कोई घातक हथियार नहीं है, पीट-पीटकर पति को मौत के घाट उतारने वाली पत्नी को SC से राहत

(शशि कोन्हेर).: पीट-पीटकर पति को मौत से घाट उतारने वाली पत्नी को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत दी। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए हत्या की सजा को गैर इरादतन हत्या की सजा में बदल दिया। महिला ने पति की डंडे (stick) से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमले के लिए इस्तेमाल किया गया ‘हथियार’ एक डंडा था। कोर्ट ने डंडे को घातक हथियार नहीं माना।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी, जहां एक महिला पर झगड़े के दौरान अपने पति की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप था। पीठ ने कहा, “अपराध में प्रयुक्त हथियार एक डंडा है जो घर में पड़ा था, और जिसे किसी भी तरह से घातक हथियार नहीं कहा जा सकता है।” कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा 500 रुपये नहीं दिए जाने के कारण पत्नी के आपा खोने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

इसके बाद अदालत ने पत्नी की आजीवन कारावास की सजा से घटाकर पहले ही भुगती गई कारावास की अवधि (नौ वर्ष) तक कर दिया। इस मामले में पत्नी पहले ही 9 साल की जेल काट चुकी है। मई 2022 में, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश ने हत्या की सजा को बरकरार रखा था। इस फैसले को महिला (अपीलकर्ता) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश का है। यहां एक महिला का उसके पति के साथ झगड़ा हुआ क्योंकि पति ने उसे 500 रुपये देने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद गुस्साई पत्नी ने घर में पड़े डंडे से पति की बेरहमी से पिटाई कर दी जिससे उसकी जान चली गई। बाद में पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया। कोर्ट ने महिला के खिलाफ हत्या के मामले में सजा सुनाई थी। महिला ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

अपीलकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उसने अपने पति को डंडे से पीटा था क्योंकि उसने उसकी बेटी को 500 रुपये नहीं दिए थे। महिला ने कहा कि उसकी बेटी ने शिकायत की थी कि उसके पिता ने उसे राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) कैंप में शामिल होने के लिए 500 रुपये नहीं दिए थे। अदालत ने कहा कि परिवार में रिश्ते मधुर नहीं थे और दंपति अक्सर झगड़ते थे, कभी-कभी हिंसक भी होते थे। न्यायालय ने पाया कि मृत व्यक्ति ने अपीलकर्ता-पत्नी के पैर तक तोड़ दिए थे।

इस प्रकार, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि ऐसी संभावना है कि अपीलकर्ता को उसके पति पर डंडे से हमला करने से पहले उकसाया गया था, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। कोर्ट ने कहा, “मृतक और अपीलकर्ता के बीच लगातार झगड़े होते थे। ऐसी एक घटना में, मृतक ने अपीलकर्ता का पैर तोड़ दिया था और उक्त अपराध के लिए उसके खिलाफ पहले से ही एक मामला लंबित था। हमारे विचार में, अपीलकर्ता संदेह का लाभ पाने का हकदार है, क्योंकि किया गया अपराध आईपीसी की धारा 300 के अपवाद I के अंतर्गत आएगा। इस प्रकार, धारा 302 आईपीसी के तहत दोषसिद्धि को धारा 304 आईपीसी के भाग- I में बदलने की आवश्यकता है।” इसलिए, अपील की अनुमति दी गई और अपीलकर्ता की सजा को हत्या से गैर इरादतन हत्या में बदल दिया गया। अधिवक्ता आदित्य धवन ने अपीलकर्ता निर्मला देवी का प्रतिनिधित्व किया। हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से वकील करण कपूर पेश हुए थे।

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