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सुनील सोलंकी दूसरों की जान बचाते-बचाते खुद को नहीं बचा पाये….


(शशि कोन्हेर) : इंदौर। इंदौर में रामनवमी पर हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 36 तक पहुंच गई है। हादसे के 24 घंटे बाद गुम एकमात्र व्यक्ति सुनील सोलंकी का शव शुक्रवार को करीब 12 बजे बावड़ी में मिला। उसे करीब 12.20 बजे बावड़ी से बाहर निकाला गया। इस पूरे मामले में इंदौर पुलिस ने दो लोगों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इसमें पूर्व पार्षद और मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और एक सचिव मुरली सबनानी शामिल है। पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर ने इस बात की पुष्टि की है।


शहर को पता नहीं था कि सुबह वह एक ऐसे शख्स का शव होगा, जिसने अपने पूरे जीवन में हर पल लोगों को जिंदगी ही बांटी है। सुनील सोलंकी अपने जीवन के आखिरी क्षणों में भी बावड़ी के भीतर लोगों को बचाकर जिंदगी बांट रहे थे, लेकिन मौत खुद झपट्टा मारकर उन्हें ले गई। बताया जा रहा है कि उन्होंने लोगों को बचाने की कोशिश की और कुछ को बचाया भी, लेकिन किसी ने बचने के लिए इन्हें पकड़ लिया, जिससे यह पानी में डूब गए।

सुनील सोलंकी इंदौर के प्रतिष्ठित साइकिलिस्ट थे। वे प्रतिदिन औसतन 50 से 60 किलोमीटर साइकिल चलाते थे। प्रात: 4 बजे घर से साइकिल लेकर निकलते थे और सुबह 9 बजे लौटते थे। वह बहुत अच्छे तैराक भी थे, इसलिए ही उन्हें बावड़ी में लोगों को बचाने का आत्मविश्वास रहा होगा। लेकिन यही आत्मविश्वास उनके लिए काल बन गया।
सोलंकी बहुत शानदार डिज़ाइनर भी थे।

हादसे वाले दिन मंदिर जाने से ठीक पहले सुबह 9:50 बजे इन्होंने अमृत महोत्सव की किताब डिजाइन करने के लिए अपने एक क्लाइंट से आखिरी बात की थी। उनके आखिरी शब्द थे – सर आज रामनवमी है। भगवान राम का नाम लेकर आज किताब फाइनल कर देंगे। उसके बाद यह मंदिर में दर्शन करने गए और यह हादसा हो गया।

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