सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार
(शशि कोन्हेर) : सुपरटेक के खिलाफ ईडी ने मंगलवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्रुप के चेयरमैन आर के अरोड़ा को दिल्ली स्थित ऑफिस में गिरफ्तार कर लिया है। ईडी की ओर से पिछले तीन दिनों से उन्हें लगातार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था। मंगलवार को भी उन्हें समन कर पूछताछ के लिए ही बुलाया गया था।
इसके बाद देर शाम में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ईडी की ओर से ही उनके परिवार के लोगों को देर रात में फोन कर गिरफ्तार किए जाने की सूचना दी गई, जिसके बाद से परिवारजनों और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। आर.के अरोड़ा बिल्डरों के संगठन नेरेडको के चेयरमैन भी हैं।
दिल्ली, हरियाण और यूपी में दर्ज FIR
दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज विभिन्न एफआईआर के आधार पर सुपरटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत ईडी ने जांच शुरू की थी। सभी एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था।
कि कंपनी और उसके निदेशक अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के खिलाफ संभावित खरीदारों से अग्रिम रूप से धन एकत्र करके लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश में शामिल हैं और समय पर फ्लैटों का कब्जा प्रदान करने के लिए अपने सहमत दायित्वों का पालन करने में विफल रहे हैं। एफआईआर के अनुसार, कंपनी ने जनता को धोखा दिया।
होम बायर्स के पैसे डायवर्ट किए
ईडी द्वारा पीएमएलए के प्रावधानों के तहत की गई जांच से पता चला कि सुपरटेक लिमिटेड और समूह की कंपनियों ने होम बॉयर्स से धन एकत्र किया और फ्लैटों के निर्माण के उद्देश्य से बैंकों से परियोजना विशिष्ट अवधि के ऋण भी लिए।
हालांकि, इन फंडों का गबन किया गया और समूह की अन्य कंपनियों के नाम पर भूमि की खरीद के लिए डायवर्ट किया गया, जिन्हें फिर से बैंकों से धन उधार लेने के लिए संपत्ति को गिरवी रखा गया था। ईडी ने कहा, आगे की जांच में पता चला है कि सुपरटेक समूह ने बैंकों/वित्तीय संस्थानों को अपने भुगतान में भी चूक की। वर्तमान में लगभग 1,500 करोड़ के ऐसे लोन एनपीए बन गए हैं।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
इन मामलों में चल रही जांच में 12 अप्रैल को भी ईडी ने सुपरटेक और उसके निदेशकों की 40 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कुर्क किया था, जिसमें उत्तराखंड के रुद्रपुर में स्थित 25 अचल संपत्तियों और उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में मेरठ मॉल को कुर्क किया गया था। इन कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 40.39 करोड़ रुपये बताया गया था।