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कोलकाता रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी….महिलाएं सुरक्षित नहीं, तो समानता की बात कैसे

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कोलकाता के अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई करते हुए मंगलवार को बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं, तो “हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं।” सीजेआई ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक अस्पताल में बलात्कार के एक विशेष मुद्दे के बारे में नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत में महिलाओं और डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे से संबंधित है।


सीजेआई ने कहा कि इस घटना ने देश की आत्मा को झकझोड़ दिया है। पीड़िता की तस्वीरें सर्कुलेट करके पीड़िता की डिग्निटी का हनन किया गया है। हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि राज्य सरकार अस्पताल में तोड़फोड़ के मुद्दे को कैसे नहीं संभाल पाई। बंगाल सरकार प्रिंसिपल के बारे में क्या करेगी? जब हत्या हुई थी तो पीड़िता के माता पिता तो वहां मौजूद नही थे। ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी की वो एफआईआर दर्ज कराए लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ये बेहद गंभीर मुद्दा है।


मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल क्या कर रहा था? हत्या का मुकदमा दर्ज करने में देरी क्यों हुई?पीड़िता की बॉडी परिवारवालों को 8:30pm दी गई और FIR 11:45pm की गई बॉडी हैंडओवर करने के बाद। अस्पताल क्या कर रहा था? किसी ने FIR दर्ज नहीं करवाई? पीड़िता की बॉडी परिवारवालों को 8:30pm पर दी गई और FIR 11:45pm पर दर्ज की गई, बॉडी हैंडओवर करने के बाद। तबतक अस्पताल क्या कर रहा था? किसी ने FIR दर्ज नहीं करवाई? पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नही किया? हजारों लोगो को अंदर क्यों आने दिया? प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज में क्यों ज्वाइन कराया गया?


हम डॉक्टरों से अपील करते हैं।हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं, हम इसे हाईकोर्ट के लिए नहीं छोडेंगे। ये बड़ा राष्ट्रहित का मामला है।

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