NEET मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश, शहर और सेंटर वाइज रिजल्ट वेबसाइट पर डालें….
नीट-यूजी पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एनटीए को रिजल्ट वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया है। कोर्ट ने एनटीए से कहा है कि वह उम्मीदवारों की पहचान को छिपाते हुए शहर और सेंटर वाइज रिजल्ट अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई की।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हर सेंटर के लिए अलग-अलग रिजल्ट घोषित किया जाएं। अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। इस दौरान बिहार पुलिस और ईओडल्यू की भी रिपोर्ट सीजेआई ने मांगी है। सुनवाई के दौरान एनटीए ने कोर्ट को बताया कि नीट यूजी की काउंसलिंग की शुरुआत 24 जुलाई से हो जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान अनुरोध किया कि परीक्षा केंद्रों का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि केंद्रवार रिजल्ट नंबरों के पैटर्न के बारे में बताएगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि पटना और हजारीबाग में पेपर लीक होना एक फैक्ट है, क्योंकि परीक्षा से पहले पेपर उपलब्ध था। सीजेआई ने कहा, “…हमें केंद्रवार देखना चाहिए कि अंकों का पैटर्न क्या है? अंत में अगर याचिकाकर्ता असफल होते हैं, तो हमें संतुष्टि होगी।” कोर्ट में आज हुई सुनवाई से पहले परीक्षा को आयोजित करने वाले एनटीए ने बताया था कि परीक्षा को कंडक्ट करवाने में कोई भी सिस्टमैटिक विफलता नहीं थी। एनटीए ने कहा था, ”याचिकाकर्ताओं के आरोप हैं कि सिस्टैमैटिक विफलता हुई है क्योंकि उम्मीदवारों ने केवल टॉप कैटेगरी में अभूतपूर्व नंबर हासिल किए हैं, जोकि गलत हैं और इसलिए उनका खंडन किया जाता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने के लिए यह ठोस आधार होना चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इसके सामाजिक प्रभाव हैं। न्यायालय ने नीट-यूजी से जुड़ी याचिकाओं से पहले सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई स्थगित कर दी और कहा, ”हम आज मामले पर सुनवाई करेंगे। लाखों युवा छात्र इसका इंतजार कर रहे हैं, हमें सुनवाई करने और निर्णय लेने दीजिए।” बेंच ने परीक्षा रद्द करने, पुन: परीक्षा कराने और पांच मई को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दिखाने के लिए कहा कि प्रश्न पत्र व्यवस्थागत तरीके से लीक किया गया और उससे पूरी परीक्षा पर असर पड़ा, इसलिए इसे रद्द करना जरूरी है।