सांस्कृतिक प्रथाएं ध्वस्त हो जाएंगी, भीषण विसंगतियों का बनेगा कारण सेम सैक्स मैरिज पर बोले स्वामी अवधेशानंद
(शशि कोन्हेर) : देश में इस समय समलैंगिक विवाह याीन किस सेम सैक्स मैरिज पर मंथन चल रहा है, सर्वोच्च अदालत में मामले को लेकर सुनवाई भी हो रही है। एक पक्ष अगर इस नई पहल का स्वागत कर रहा है तो एक वर्ग इसका खुलकर विरोध करता भी दिख रहा है।
अब इसी कड़ी में जूना अखाड़े के आचार्य स्वामी अवधेशानंद गिरी ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है। उस चिट्ठी में उन्होंने सेम सैक्स मैरिज का खुलकर विरोध किया है। जोर देकर कहा गया है कि अगर ऐसा बदलाव किया गया तो आने वाले समय में सांस्कृतिक प्रथाएं ध्वस्त हो जाएंगी।
स्वामी अवधेशानंद समलैंगिक विवाह के खिलाफ
ट्विटर पर अपनी इस चिट्ठी को साझा कर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने लिखा है कि भारत केवल 146 करोड़ जनसंख्या का देश नहीं है अपितु यह प्राचीन वैदिक सनातन धर्म-संस्कृति, परंपरा और आद्य मानवीय संवेदनाओं की धरोहर है, जहाँ विवाह एक अत्यन्त पवित्र कल्याणकारी संस्कार है; जो स्त्री पुरुष को वंश वृद्धि, पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण और सामाजिक उत्तरदायित्वों के भीतर एकीकृत करता है।
ट्वीट में आगे लिखा है कि अत: समलैंगिकता का वैधीकरण विवाह भारत जैसे देश में भीषण विसंगतियों का कारण बनकर भारत राष्ट्र की दिव्य वैदिक मान्यताओं, सांस्कृतिक प्रथाओं और सामाजिक विकास की विविध साधन पद्धतियों को ध्वस्त कर मानवीय अस्तित्त्व के लिए अनिष्टकारक सिद्ध होगा ।
भारत के शीर्षस्थ धर्माचार्य सन्त सत्पुरुष इस प्रकार के अप्राकृतिक अस्वाभाविक विचार से स्तब्ध हैं ! इस प्रकार के अनुचित और अनैतिक प्रयोग भारत में सर्वथा अस्वीकार्य रहे हैं।
कोर्ट इस मामले में दखल ना दे- निश्चलानंद सरस्वती
अब चिट्ठी की बात करें तो उसमें भी अवधेशानंद गिरी द्वारा कई बड़े बातें कही गई हैं. उनके मुताबिक अगर LGBTQ समुदाय को हक देने ही हैं, तो उस स्थिति में उनके लिए एक अलग रेजिस्ट्री बना दी जाए, लेकिन शादी की परंपरा में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
वैसे निश्चलानंद सरस्वती ने तो मीडिया से बात करते हुए यहां तक कह दिया है कि कोर्ट को ऐसे मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। जजों को बताया जाना चाहिए प्रकृति ही ऐसे लोगों को सजा देगी. अगर कोर्ट इस पर कोई फैसला देता भी है, तो उसे स्वीकार करने की कोई जरूरत नहीं है।