महालक्ष्मी का वो मंदिर, जहां भक्तों को प्रसाद ने मिलते हैं नोट और सोना चांदी..!
(शशि कोन्हेर) : मध्य प्रदेश के रतलाम में महालक्ष्मी मंदिर को दिवाली के दिन फूलों से नहीं, बल्कि नोटों और सोने चांदी से सजाया गया है. धनतेरस पर इस मंदिर में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन लोग सोने-चांदी आदि की खरीद करते हैं. यहां हर तरह की मुद्रा चढ़ाई जाती है.
धनतेरस से लेकर पांच दिन के दीप उत्सव का आयोजन किया जाता है. मंदिर की दीवार और मां की मूर्ति की सजावट नोटों से की जाती है. मंदिर में मौजूद झालर को नोटों से सजाते हैं. यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचते हैं.
इस मंदिर को एक या दो लाख से नहीं, बल्कि करोड़ों के नोटों से सजाया जाता है. अब इतने नोट अगर चढ़ाए जा रहे हैं, तो यकीनन मंदिर की सुरक्षा भी सख्त होगी. यहां हर साल सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं. जब तक पूजा-पाठ होता है, तब तक मंदिर के चारों ओर पुलिस पहरा देती है.
इस मंदिर में भी भक्त दर्शन करने आता है, उसे प्रसाद में नोट दिए जाते हैं. कई लोगों को तो प्रसाद के रूप में सोना चांदी भी मिलता है. अगर मंदिर की पौराणिक कथा पर गौर करें तो ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा सुख समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए मंदिर में पैसे के साथ आभूषण चढ़ाने आते थे. उसके बाद से यहां नोट चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई.
पुजारी संजय अमरलाल ने बताया कि मंदिर में मां लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की मूर्तियां विराजमान हैं. दीपावली पर लक्ष्मी जी, गणेश जी और सरस्वती जी की पूजा होती है. यह राजा महाराजाओं की कुलदेवी हैं. उस जमाने से यह परंपरा चली आ रही है.
लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेश जी के साथ-साथ 8 अन्य प्रतिमाएं विराजित हैं. यह सारा कुबेर का खजाना जनता का रहता है. पब्लिक अपना पैसा, जेवरात यहां रखती है. नाम, पता लिखकर अपना फोटो लगवाते हैं और जमा करते हैं. इसके बाद भाई दूज के बाद उनका धन सुरक्षित तरीके से लौटा दिया जाता है.
यहां कितना पैसा आता है, कितने आभूषण आते हैं, इसका आकलन नहीं किया जा सकता. यह कुबेर का खजाना है. यहां धन रखने की जगह नहीं रहती. अभी भी सारी तिजोरियां भरी हुई हैं, धन रखने की जगह नहीं है.
पुजारी ने बताया कि खजाना सोना चांदी और नोटों से भरा हुआ है. पुष्य नक्षत्र से लोग अपना पैसा रखते हैं. दिवाली के मौके पर 3 दिन पूजा होती है.
इस बार दिवाली के बाद सूर्य ग्रहण होने से 1 दिन मंदिर बंद रहेगा. यहां धन जमा करने वालों को टोकन दिया जाता है. यह मंदिर कलेक्टर के अधीन है. पूरी देखरेख प्रशासन करता है.