राजस्थान के अर्चना शर्मा आत्महत्या मामले को लेकर डॉक्टरों का रोष चरम पर, डॉक्टरों ने शासन की कार्रवाई को सरासर गलत और सुप्रीम कोर्ट की मंशा के विपरीत बताया
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – दौसा राजस्थान में एक महिला डॉक्टर के द्वारा आत्महत्या किए जाने को लेकर देशभर में डॉक्टर समुदाय में खासा आक्रोश है। इस संदर्भ में गुरुवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फोगसी ने मिलकर उस घटना पर कड़ा एतराज जताते हुए पत्रकारों से चर्चा की। आई एम ए प्रेजिडेंट डॉ संदीप तिवारी ने कहा कि चिकित्सक के भी अपने लिमिटेशंस हैं।मानव शरीर एक जटिल संरचना है और कॉम्प्लिकेशंस होने की पॉसिबिलिटी हमेशा होती है। जीवन और मरण ईश्वर निर्धारित करता है जबकि कोई भी चिकित्सक अपनी पूरी कोशिश करके अपने मरीज की जान बचाने की हरसंभव कोशिश करता है लेकिन दौसा की घटना में जिस प्रकार से पुलिस प्रशासन एवं स्थानीय राजनेताओं के द्वारा डॉक्टर अर्चना शर्मा को इस हद तक प्रताड़ित किया गया कि उन्होंने आत्महत्या जैसे कदम को उठा लिया। इस पूरे प्रकरण में स्थानीय पुलिस ने 302 की धारा डॉक्टर के ऊपर लगाई यह पूरी तरह से सर्वोच्च न्यायालय के जैकब मैथियु केस 2001 के आदेश की अवहेलना है। जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है की किसी भी मेडिकल नेगलिजेंस के केस में डॉक्टर के ऊपर डायरेक्टली कोई भी केस फाइल नहीं की जा सकती। उसके लिए सबसे पहले एक मेडिकल कमेटी बनाने की आवश्यकता होती है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही उनके ऊपर किसी भी तरह की कार्रवाई निर्धारित होती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आई एम ए प्रेसिडेंट डॉक्टर संदीप तिवारी एवं आई एम एस सेक्रेट्री डॉ अनुज कुमार ने दोषियों के ऊपर अविलंब एवं सख्त कार्रवाई की मांग की है।एसोसिएशन जल्द ही मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने की मांग करेगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर सुनीता वर्मा, डॉक्टर संगीता जोगी,एवं डॉ कविता बब्बर ने मरीज की तकनीकी समस्या के बारे में विस्तृत दी। इस दौरान शहर के सभी स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं आईएमए के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।