जो हाल रायपुर के स्काईवॉक का…उससे भी बदतर हालत बिलासपुर के सीवरेज की…फिर वहां राजधानी में जांच…और न्यायधानी में कोई जांच नहीं..? यहां सब, दूध भात..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – प्रदेश सरकार ने रायपुर में ठीक शहर के बीच में बनाई गई स्काईवॉक की अगर कचरी योजना की जांच ईओडब्ल्यू-एसीबी से कराने की घोषणा की है। 2017 में 50 करोड़ से शुरू हुई यह योजना उपयोगिता के नाम से बिल्कुल फालतू साबित हुई है। रायपुर में घड़ी चौक के पास से लेकर मेकाहारा तक इस योजना के कंकाल अभी भी जमीन के ऊपर खड़े हैं। रायपुर की स्काईवॉक योजना तो मात्र 50 करोड़ों रुपए की है। जबकि बिलासपुर में जमीन के अंदर दफन सीवरेज परियोजना पर अभी तक 400 करोड रुपए से अधिक राशि स्वाहा हो चुकी है। और बिना उपयोगिता की जांच के इस पर अभी पता नहीं कितनी और राशि पानी में बहाने की तैयारी है..? प्रदेश सरकार ने जिस तरह स्काईवॉक की योजना के जांच की घोषणा की है। उसी तरह सीवरेज परियोजना की भी जांच की मांग बिलासपुर शहर की जनता कर रही है। लोगों को यह पता चलना चाहिए कि सन 2008 में शुरू हुई इस परियोजना को केवल 24 माह में पूरा होना था। तब यह परियोजना आज 14 साल के बाद भी अधूरी क्यों पड़ी है..?
इसी तरह इस परियोजना की शुरुआती लागत मात्र 180 करोड़ रुपए थी जिस पर अब तक 400 करोड़ से अधिक रकम खर्च की जा चुकी है। और अभी भी कोई यह बताने की स्थिति में नहीं है कि इस योजना पर और कितने करोड़ रुपए स्वाहा किए जाएंगे। इसी तरह कोई यह भी दावा नहीं कर पा रहा है कि बनने के बाद यह परियोजना शत प्रतिशत सफल परियोजना की तरह काम करेगी अथवा नहीं? और बिलासपुर की जनता का तीसरा और सबसे अहम सवाल यह है कि मात्र रुपए 180 करोड़ रुपए में मात्र 24 माह में बनने वाली यह परियोजना 14 साल और 400 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च होने के बाद भी अधूरी क्यों है..? इस परियोजना पर शुरू में 180 करोड रुपए खर्च होने थे। जो अब 500 करोड रुपए के भी ऊपर पहुंच रहे हैं। क्या इस बात की जांच होगी कि इसकी लागत में 320 करोड रुपए की बढ़ोतरी होने के लिए कौन जिम्मेदार है..? अच्छा होता यदि प्रदेश शासन स्काईवॉक की तरह बिलासपुर की सीवरेज को लेकर भी एक जांच की घोषणा कर देता। जिससे बिलासपुर में जमीन के नीचे दफन की गई 400 करोड़ की काला सच..! आम जनता के उजागर हो सके।