(आशीष मौर्य के साथ जयेंद्र गोले) : 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल में बीते 2 घंटे से लाइट गुल है, बिजली आपूर्ति के लिए यहां रखा तीन जनरेटर भी खराब है. दरअसल जिला अस्पताल मे सिविल सर्जन की लाचार कार्य प्रणाली के चलते स्वास्थ्य विभाग का नाम बदनाम हो रहा है. जनरेटर मेंटेनेंस के नाम पर हर महीने कागजों पर पैसे खर्च हो रहे हैं
जब भी जिला अस्पताल या 100 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल में बिजली गुल होती है. यहां चारों तरफ अंधेरा छा जाता है. बीमार मरीजों को उनके परिजन हाथ पंखा से हवा करते नजर आते हैं.
क्योंकि परिजनों को भी पता है कि यहां बिजली गुल होने के बाद, बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है.क्योंकि यहां रखा हुआ तीन जनरेटर कभी चालू ही नहीं होता. जो सफेद हाथी साबित हो रहा है.
अस्पताल में भर्ती महिलाएं छोटे बच्चे और अन्य मरीज उनके परिजन बिजली गुल होने के कारण परेशान होते हैं. जिससे जिला अस्पताल प्रबंधन को कोई लेना-देना नहीं है. अस्पताल की व्यवस्था सुधारने में नाकाम सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गुप्ता शुरू से ही कामकाज विवादों में रहा है.
मेंटेनेंस के नाम से हर बार बिजली विभाग घंटे बिजली गुल कर देता है. जिसका खामियाजा मरीज भुगतते हैं.जिससे सिविल सर्जन को कोई लेना-देना नहीं है. यही वजह है कि जिला अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है. यहां की व्यवस्था कब सुधेगी यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है.