बिलासपुर में मौसम की चार “ऋतुओं” का सरेआम हुआ कत्लेआम… कौन करेगा पर्यावरण प्रदूषण का काम-तमाम..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। एनटीपीसी के विद्युत संयंत्र की एशिया में सबसे ऊंची चिमनियां, तिफरा का कबाड़ इंडस्ट्रियल एरिया, बिलासपुर के चारों ओर किलो के भाव से खुल रही कोल वाशरीज और हजारों ईट भट्ठा,अरपा नदी में रेत की अवैध खुदाई तथा कोरबा के चिमनियां की बिलासपुर तक पहुंचती भयंकर तपिश… किस किस का नाम लूं…ये सभी हत्यारे हैं..हमारे मौसम की 4 ऋतुओं के…! और इन हत्याओं को रोकने की काबिलियत रखने वाले लोगों शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधि और नेता भी इस हत्या की आपराधिक साजिश के लिए 120 बी के अपराधी हैं। हालत यह है कि आज अगर आप छत्तीसगढ़ और खासकर बिलासपुर के किसी भी हिंदी अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी से पूछें कि साल भर में कितनी ऋतुएं होती हैं..? तो उनमें से कुछ ही विद्यार्थी इसका जवाब दे पाएंगे। लेकिन वे भी केवल तीन ऋतुएं ही बता पाएंगे। वर्षा, ठंड और गर्मी..! नई पीढ़ी से पूछने पर यह तीन ही मौसम वह बताएगी। उसे इस बात की कोई जानकारी ही नहीं है कि हमारे देश की तरह छत्तीसगढ़ और बिलासपुर में साल भर में छह श्रृतुएं होती थी। ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, और वसंत ऋतु..! सरेआम हुई हत्या के बाद अब इनमें से केवल तीन मौसम (ऋतु) ही बचे हैं।
गर्मी बरसात और ठंड..! इनमें भी लगभग हर साल बरसात और ठंड के दिन कम होते चले जा रहे हैं। जबकि गर्मी के दिन, हर साल हनुमान की पूंछ जैसे बढ़ते जा रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ या कहें बिलासपुर में बीते कुछ सालों से 10 माह लगातार गर्मी रहती है। वही एक माह की ठंड और 1 महीने की बरसात ही बची रह गई है। इसमें भी ठंड और बरसात के दिनों की संख्या में लगातार और भी कमी होती जा रही है। इस बार तो बिलासपुर में एक हफ्ते की भी ठंड नहीं रही।.. एक के बाद एक की गई ऋतुओं की हत्या के कारण ही ऐसा हो रहा है। अब शरद, हेमंत व शिशिर ऋतु कब आती है और कब चली जाती है..? इसका पता ही नहीं चलता।
बरसात के मौसम ने जरूर अपना थोड़ा बहुत वजूद बना कर रखा हुआ है। लेकिन उसके भी दिन हर साल कम होते जा रहे हैं। बिलासपुर में 7 दिनों की लगातार झडी अब किताबों की बात हो गई है। अब तो बस एक ही श्रृतु,एक ही मौसम बाकी रह गया है। और वह है लगातार 10 महीने की गर्मी। यह जरूर है कि इनमें कुछ महीने कम गर्मी रहती है। कुछ महीनो में जरा अधिक गर्मी रहती है और बाकी 4 महीने बम्फाड़ गर्मी रहती है। जो हमारा जीना हराम करती जा रही है। एक समय था जब, रायपुर की तुलना में बिलासपुर ठंडा हुआ करता था। अब हालात इसके ठीक विपरीत हो गए हैं। और इसके लिए वही सारे अपराधी जिम्मेदार है। जिनका नाम हम शुरुआत में ही ले चुके हैं। जब तक उनके कान पकड़ कर ना मरोड़े जाएं। कटघरे में ना खड़ा किया जाए। तब तक हालात सुधरने की उम्मीद करना, धरती से स्वर्ग तक सीढी निर्माण का सपना देखने जैसी ही मुर्खता कही जाएगी।