छत्तीसगढ़

सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय भर्ती घोटाले का मामला राज्यपाल, शासन और राष्ट्रपति तक पहुँचा..

बिलासपुर – पंडित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में 8 पदों में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद राज्यशासन और राजभवन ने आदेश जारी कर रोक लगा दिया है। आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन में जमकर हलचल है। राज्यपाल और राज्यशासन ने नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद परिणाम और प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए जांच का आदेश दिया है।

जानकारी देते चलें कि पंडित सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर में स्व वित्तीय योजना अंतर्गत कुल 8 पदों का सृजन हुआ है। इसमें सहायक क्षेत्रीय निदेशक के 3 , सिस्टम एनालिस्ट, कम्प्यूटर प्रोग्रामर,छात्र कल्याण अधिकारी और सहायक छात्र कल्याण अधिकारी का एक पद शामिल हैं। इसके एक पद जनसंपर्क अधिकारी का भी शामिल है।

सभी पदों के लिए विश्वविद्यालय ने विज्ञापन जारी किया। प्रबंधन की तरफ से जारी विज्ञापन और भारी अनियमितता,भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के खिलाफ कई शिकायतें राष्टपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग तक पहुंची।

शिकायतों मैें बताया गया कि पदो के सृजन के लिये सबसे पहले विश्वविद्यालय वित्त समिति और कार्यपरिषद् की स्वीकृति लिया जाना जरूरी है। बावजूद इसके नियमो दरकिनार करते हुए कुलपति वंशगोापल की तरफ से भारी लापरवाही को अंजाम दिया। साथ ही खुद से सभी 8 पदों के लिये राज्य शासन को पत्र लिखा। इसके पहले पदो के औचित्य, आवश्यकता,होने वाले व्यय की भी स्वीकृति कार्यपरिषद् से नहीं लिया।

जगह जगह किए शिकायत पत्र में बताया गया है कि विश्वविद्यालय से जारी विज्ञापन में अभ्यर्थियों के लिये अधिकतम आयु सीमा का बंधन नहीं रखा गया है। जबकि शासन से सप्ष्ट है कि पदों की भर्ती के समय छत्तीसगढ के मूल निवासियों के लिये छूट के साथ अधिकतम आयु सीमा 45 साल होनी चाहिए। इसके अलावा राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों के लिये 30 साल आयु सीमा निश्चित है।

लेकिन विश्वविद्यालय ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुे किसी व्यक्ति विशेष की नियुक्ति को ध्यान में रखकर सभी विज्ञापन में अधितम आयु सीमा का जिक्र नहीं किया गया है। ऐसा सिर्फ इसलिए कि किसी व्यक्ति विशेष को पदों के लिए नियुक्ति जाना था।

शिकायत के अनुसार विज्ञापन में प्रतियोगी परीक्षा के लिये सिलेबस भी जारी नहीं किया गया है। जबकि गाइड लाइन के अनुसार किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिये सिलेबस जारी किया जाना अनिवार्य है। राष्ट्रपति और राज्यपाल,राज्य शासन समेत अन्य को की गयी शिकायत में बताय गया है कि विश्वविद्यालय ने विज्ञापन में उल्लेखित पदो के लिये पहले से ही उम्मीदवार चुन लिया है। जबकि परीक्षा का आयोजन सिर्फ दिखाने के लिये किया गया।

इसके अलावा लिखित परीक्षा के परिणाम बिना घोषित किये कुछ लोगो को इंटरव्यू लिया गया है। ऐसा पहले किसी भी नियुक्ति में नहीं किया गया है। इससे जाहिर है कि नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है।

शिकायत के अनुसार परीक्षा के बाद मॉडल आंसर 25 मार्च, 2023 को जारी किया गया। 31 मार्च, 2023 तक दावा आपत्ति मंगाया गया। बहुत से अभ्यर्थियों ने दावा आपत्ति प्रस्तुत भी किया। विश्वविद्यालय ने सभी दावा आपत्तियों को दककिनार कर दिया। इसी तरह फाइनल मॉडल आंसर जारी नहीं कर पूरी प्रक्रिया संदेह के दायरे में है। जिन 8 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है। पदो के लिये अभी सेवा भर्ती नियम भी तैयार नहीं है।

विश्वविद्यालय में कार्य कर चुके अभ्यर्थियों को अनुभव का अतिरिक्त अंक दिया जा रहा है। यह जानते हुए भी कि सीधी भर्ती में बोनस अंक प्रावधान को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रद्द किया है। जिसके बाद से विश्वविद्यालय मे आज तक बिजली कर्मियों की भर्ती नहीं हुई है।शिकायत कर्ता के अनसुार नियमानुसार अभ्यर्थियों को कॉल लेटर स्पीड पोस्ट या डाक से भेजने का नियम है। लेकिन विश्वविद्यालय ने सभी को ईमेल कॉल लेटर भेजा है।

विभिन्न जगह भेजे गए शिकायत पत्र में समाज सेवी डिगेश्वर साहू, जितेन्द्र कुमार साहू,पी आर जायसवाल ने बताया कि कुलपति वंश गोपाल सिंह ने मनमानी कर नई सरकार बनने से पहले ही विवादित रूप से इंटरव्यू कराया है। बन्द लिफाफा को खोलने का प्रयास भी किया। जबकि शासन के उच्च शिक्षा विभाग सचिव प्रतिनिधि ने कार्य परिषद की बैठक में लिफाफा खोलने का विरोध किया। प्रतिनिधि ने कहा कि राज्यपाल से विश्वविद्यालय में हो रही पदों में नियुक्तियां के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग को जांच का निवेदन किया जाए। जब तक जांच की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती है..तब तक नियुक्ति का लिफाफा नहीं खोला जाए। बावजूद इसके मामले को कार्य परिषद की कार्यवाही विवरण में शामिल नहीं किया गया। विशेष कर्तव्य अधिकारी राजलक्ष्मी सेलट ने विश्वविद्यालय के कुलपति और अध्यक्ष कार्य परिषद को पत्र लिखा। बताया कि सभी आठ पदों में अनियमितता और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। जांच को ध्यान में रखते हुए नियुक्ति का लिफाफा नहीं खोला जाए।

छत्तीसगढ़ शासन उच्च शिक्षा विभाग अवर सचिव ने विश्वविद्यालय के कुल सचिव को पत्र लिखा है कि जितेंद्र साहू की शिकायत पर राज्य शासन ने जांच का आदेश दिया है। बहरहाल जांच प्रक्रियाधीन है। इसलिए विश्वविद्यालय के सभी आठ पदों की नियुक्ति प्रक्रिया को स्थगित किया जाता है। राजभवन सचिवालय ने भी विश्वविद्यालय को पत्र भेजा है कि आठ पदों की नियुक्ति प्रक्रिया को तत्काल स्थगित किया जाता है। पत्र में यह भी बताया गया है कि आदेश पर की गयी कार्रवाई की जानकारी से राजभवन को अवगत भी कराएं।

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