प्रदेश का पहला जैव विविधता पार्क हुआ बदहाल….
(भूपेंद्र सिंह राठौर/जय साहू) : बिलासपुर – राज्य के पहले जैव विविधता पार्क के निर्माण को लेकर उम्मीदें बहुत थीं, लेकिन फदहाखार में इस परियोजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी यह योजना अधूरी पड़ी है।
सालभर पहले फदहाखार के आरक्षित वन क्षेत्र में राज्य का पहला जैव विविधता पार्क बनाने की योजना शुरू की गई थी। इस प्रोजेक्ट में तालाब, पाथवे, पौधारोपण, साइकिल ट्रैक, जागिंग ट्रैक और ओपन जिम जैसी सुविधाएं शामिल थीं। वन विभाग ने इसके लिए लाखों रुपये खर्च किए। लेकिन आज, पाथवे की टाइल्स उखड़ चुकी हैं और तालाब केवल दिखावे के लिए खड़ा है। जो उद्यान कभी लोगों को प्रकृति से जोड़ने के लिए बनाया गया था, वह अब उजाड़ पड़ा है। यहां तक कि इसे समतल करने के लिए जेसीबी मशीनें लगाई जा रही हैं। फदहाखार जंगल में खरगोश, जंगली सुअर और पक्षियों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन जैव विविधता पार्क की अधूरी योजना ने वन्यजीवों और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्यों को नुकसान पहुंचाया है।
3-3 किलोमीटर लंबे जागिंग और साइकिल ट्रैक बनाए जाने थे, लेकिन यह भी अधूरा हैं। वाटिकाएं और ओपन जिम जैसी सुविधाएं अब तक शुरू नहीं हो पाई हैं। लोगो का कहना है कि यहां लाखों रुपये खर्च कर दिया गया, लेकिन कुछ भी टिकाऊ नहीं है।
सड़कों की हालत खराब है और नालियां अभी तक अधूरी हैं।फदहाखार मे जैव विविधता पार्क की अधूरी परियोजना एक बार फिर सरकारी योजनाओं की विफलता को उजागर करती है। क्या स्थानीय प्रशासन और वन विभाग इसे पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे, या यह केवल कागजों पर ही सिमट कर रह जाएगी? यही सवाल अब सभी के मन में है।