(दिलीप जगवानी) : सरकंडा मे अरपा नदी के शिवघाट में बैराज निर्माण मे गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। यहां बेस डाले बिना ही डॉउन स्ट्रीम फ्लोर तैयार किया जा रहा है.यही नही ठेकेदार निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान भी नही रख रहा है. फ्लोर के निर्माण में भ्रष्टाचार किया जा रहा है इसे देखने से पता चलता रहा है की यह पहली बारिश में ही बह जाएगा. ढलाई में मसाला कैसे बनाना है ये मजदूर ही तय कर रहे है. ठेकेदार का कोई इंजीनियर मौके पर मौजूद नहीं रहता.
अरपा में निर्माणाधीन बैराज को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जितना संवेदनशील है. सिंचाई विभाग के अधिकारी और ठेकेदार उतना ही लापरवाह और भ्रष्ट नजर आ रहे है. पिछले सप्ताह कलेक्टर बैराज की प्रगति देखने शिव घाट पहुंचे थे जहां ठेकेदार और विभाग के अधिकारियों के बीच गतिरोध का उन्हें पता चला, इसके बाद उन्होंने दोनों को तालमेल बिठाते हुए कार्य पूरा करने कहा. ठेकेदार से कलेक्टर सौरभ कुमार ने स्पष्ट कहा कि जून उनके लिए डेडलाइन है.
इसके बाद से ठेकेदार और विभाग मिलकर आनन-फानन में बैराज का कार्य पूरा करना चाहते हैं. बैराज बनाने को लेकर विभाग के अधिकारी शुरू से ही बंदरबाट में लगे हुए है.सरकंडा के शिवघाट में निर्माण कार्य देखने से लग रहा है की विभाग के अधिकारी और ठेकेदार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और सिंचाई मंत्री रविन्द्र चौबे की साख मे बट्टा लगाने पर आमादा है.
सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने पहले तो इसके टेंडर में बंदरबाट किया टेंडर पास होने के बाद ठेकेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचा दिया. अब इसके निर्माण में भी भारी लापरवाही बरती जा रही है.
बैराज निर्माण में सरिया और सीमेंट से लेकर मिक्सचर बनाने में घोर लापरवाही बरती जा रहे है. बैराज के फाउंडेशन की हक़ीक़त सामने आयी तो श अधिकारी और ठेकेदार पर कानून की गाज गिरना तय है. इन दिनों बैराज के फ्रंट में बन रहे स्ट्रीम फ्लोर वाली जगह दलदल से भरा है. ठेकेदार ने फ्लोर निर्माण को इतना हल्के में ले रहा है की पहली ही बारिश वह बह जाए तो आश्चर्य की बात नहीं होगी. ठेकेदार बिना बेस बनाए फ्लोर का निर्माण कर रहा है.
ढलाई में जो मिक्सचर उपयोग किया जा रहा है उसमें रेत और गिट्टी तो दिख रहा है लेकिन सीमेंट नजर नहीं आ रहा है. अब स्वाभाविक रूप से कल्पना की जा सकती है की बिना बेस के गुणवत्ताहीन फ्लोर कितने दिन टिकेगा.यह फ्लोर नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक बनना है. इस फ्लोर के निर्माण में हो ठेकेदार और विभाग के अधिकारी मिलकर डेढ़ से दो करोड़ रुपए का वारा न्यारा कर देंगे. विडंबना तो ये है की करोड़ों के इस प्रोजेक्ट की देखरेख करने के लिए मौके पर कोई अधिकारी रहते ही नही.
पूरा बराज मजदूरों के भरोसे चल रहा है. ठेकेदार की ओर से भी कोई इंजीनियर मौके पर मौजूद नहीं रहता. ढलाई में कितना सीमेंट, कितना गिट्टी और कितना रेत मिलना है ये सब काम मजदूर अपने अनुभव और आकलन पर कर रहे है. टेंडर अनुबंध की शर्तों के अनुसार बैराज के नीचे बन रहे फ्लोर की ढलाई ब्लाक बनाकर किया जाना है. लेकिन ठेकेदार इसकी अनदेखी करते हुए 25 फिट तक लंबी ढलाई एक साथ कर रहा है. हद तो ये है की ढलाई के वक्त निर्माण स्थल पर सिंचाई विभाग का कोई जिम्मेदार अधिकारी या इंजीनियर मौजूद नहीं था.