जांजगीर-चाम्पा

उस गांव की महिलाएं कमल, केला भिंडी और अमारी भाजी के डंठल के रेशे से बना रही हैं राखियां…..

(हेमंत पटेल) : जांजगीर-चाम्पा – जांजगीर चांपा जिला के छोटे से गांव बेहराडीह की महिला स्व सहायता समुह ने राखी बनाने का अनुठा तरीका अपना लिया है और वेस्ट मटेरियल को बेस्ट बनाने में जुटी है ,और भाई बहन के पवित्र राखी के त्यौहार में अपने प्रेम और संदेश को पिरो कर खास राखी तैयार की है। राखी रेशमी धागों से नही बल्कि कमल ,केला,भिंडी और अमारी भाजी के डंटल के रेशे से तैयार करने में जुटी है। प्राकृतिक रंगों से बने रंग बिरंगी राखियाँ बेहद आकर्षक और हर कलाई में सजने के लिए किफायती भी है।महिलाओं ने इस तकनीक से राखियां तैयार की है।कुछ राखी आर्डर पर देश के अलग अलग स्थानों में भेजा जाएगा । वही सी मार्ट में भी स्टाल लगा कर बेची भी जाएगी।पेश है एक रिपोर्ट.

रंग बिरंगी राखी लेकर आई बहना, जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर पर स्थित ग्राम बेहराडीह वैसे को अन्य गांव की तरह है लेकिन इस गांव को खास बना दी है यहां की महिला स्वसहायता समुह के क्रिया कलापों ने। पहले इस महिला समुह ने रेशेदार फल,फूल और सब्जियों के रेसा निकल कर राखी बना शुरु कर दिया है , जिसमे कमल , केला, भिंडी अमारी भाजी के डंठल से रेशा निकाल कर उसमें मोती पिरोना शुरु किया ।जिसका आकर्षण अब गांव के घर घर में छा गया और सभी महिलाएं मिल कर राखी बना कर उसे बेचने की तैयारी मेें है।

कमल फूल के डंठल ,केला ,भिंडी अमारी भाजी के रेशे से बने राखी बाजार में बिकने वाली चाइनीज राखियों के कम नही हैै। महिला समुह के सदस्यों ने इस काम को सीख कर घर बैेठे पैसा कमाने लगे है और इस तरह घर बैठे अपने परिवार के साथ परिश्रम कर महिलाएं पैसा कमाने में जुट गई है।वही इस बार अपने भाई के हाथों में अपने हाथों से बनाए बेस्ट राखी पहनाने की तैयारी में है।

स्व सहायता समूह के सदस्य ने बताया की इस बार कमल के रेसा को भी राखी के धागा बनाने मे उपयोग में लाया जा रहा है,पटवा भाजी ,अमारी भाजी के रेशे को निकालने के लिए स्टील के ग्लास से हल्का छिला जाता है और रेशे को एक एक कर धागा के रूप में एकत्र किया जाता है।

कहते है आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जाटा ग्राम पंचायत की महिला समुह ने चार साल पहले इसी तरह केला के रेशा से जैकेट बना कर प्रदेश के नेताओं को भेंट किया और इस काम की सराहना और उसका अच्छा बिक्री होने से महिलाओं के हौसला बुलंद हो गया है और अब इस बार राखी त्यौहार पर साक सब्जियों डंठल के रेशे से बने राखी से अपने गांव की महिलाओं को प्रेरित कर स्वरोजगार से जोड दिया है और बाजार में रंग बिरंगे राखियों को सजा कर भाई की सुनी कलाई को सजाने के लिए कम से कम कीमत में उपलब्ध कराने की तैयारी में है।

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