बड़ा शोर सुन रहे “स्मार्ट सिटी सडकों का”…मुहल्लों में जाकर देखा…तो सड़कें, जर्जर और बर्बाद निकलीं..!
(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर। ऐसा लगता है जैसे प्रदेश के नेताओं ने राजधानी रायपुर को ही पूरा छत्तीसगढ़ मान लिया है। शायद वैसे ही बिलासपुर शहर के कर्णधार शहर की गिनती की 3-4 सड़कों को ही पूरा बिलासपुर मान बैठे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो, गिनती की 2-3 सड़कों को स्मार्ट रोड बनाने के लिए अपनी ही पीठ ठोक रहे कर्णधार, शहर के गलियों मोहल्लों की भी सड़कों के उद्धार की भी सोचते। उनकी जानकारी के लिए यह बताना लाजमी है कि बिलासपुर नगर निगम में इस समय 70 वार्ड (और लगभग उतने ही मोहल्ले) हैं। इन मोहल्लों वार्डों में से आधे वार्डों और मोहल्लों की भीतरी सड़कें जर्जर और तबाह हो चुकी हैं। चाहे आप सरकंडा पुराने पुल से जबड़ापारा होते हुए चांटीडीह के रामायण चौक अथवा चांटीडीह चिंगराजपारा समेत दूसरे पारा मोहल्ला तक चले जाएं। आपको सड़कों की हालत इतनी खराब मिलेगी कि आप स्मार्ट सिटी और स्मार्ट सड़कों को कोसने लगेंगे।
इसी तरह आप कांग्रेस भवन से तुलजा भवानी मंदिर होते हुए कुदुदंड से मंगला तक जाकर देख ले (कार से नहीं बाइक या ऑटो से) तो आपको बिलासपुर की सड़कों की हालत पर रोना आ सकता है। अरपापार बंधवापारा और कभी चकाचक बनी मगरपारा सड़क का हाल भी जर्जर और तबाह हो गया है। तिलक नगर में कोन्हेर गार्डन से नाऊपारा हनुमान मंदिर होते हुए नदी किनारे तक जाने वाली सड़क की हालत भी इतनी खराब हो गई है कि उस पर चलना मुश्किल हो गया है। शहर में इस वक्त कुल जमा अधिकांश वालों की अधिकांश सड़कें जर्जर और तबाह हो चुकी हैं। इन सड़कों की हालत सुधारने के लिए जिम्मेदार लोग, बिलासपुर शहर में 2-3 स्मार्ट सिटी रोड बनाकर ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जाहिर है कि ऐसे माहौल और हालात से स्मार्ट सिटी रोड में बसे कुछ लोग ही शहर के कर्णधारों से खुश हो सकते हैं। बिलासपुर के बाकी मोहल्लों और वार्डों में बसने वाली आधे से अधिक आबादी सड़कों की जर्जर हालत के कारण उन्हें कोस ही रही होगी।