बिलासपुर

महामाया मंदिर रतनपुर में सीनियर सिटीजन के लिए मुकम्मल व्यवस्था हो और नवरात्र में 3 दिन बिलकुल बंद रहे, वीआईपी दर्शन का कल्चर..!

(शशि कोन्हेर) :बिलासपुर। मां महामाया मंदिर रतनपुर में शारदीय नवरात्र पर हजारों हजार मनोकामना ज्योति कलशों के साथ मां महामाया के दर्शनों का सिलसिला जारी है। आज नवरात्रि की पंचमी है। इस बार नवरात्र पर पहले दिन से ही मां महामाया के दर्शनों के लिए रतनपुर मंदिर परिसर में लोगों की अच्छी खासी भीड़ लग रही है। प्रथमा से लेकर आज पंचमी तक हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ निरंतर बढ़ती जा रही है। महामाया मंदिर ट्रस्ट समिति के द्वारा इस अवसर पर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दर्शनों की कतार समेत अनेक व्यवस्थाएं की गई है। लेकिन इस मंदिर में नवरात्र पर सीनियर सिटीजन के लिए कोई ठोस व्यवस्था इतने बरसों बाद भी नहीं बनाई गई है। दिव्यांगों के लिए जरूर मंदिर परिसर में व्हीलचेयर और रैंप सहित तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं। लेकिन नवरात्र पर हर दिन बहुत बड़ी संख्या में आने वाले सीनियर सिटीजन अर्थात 60 साल से ऊपर के श्रद्धालुओं के लिए ऐसी कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे उन्हें आसानी से माता के दर्शन हो जाए। देश के तमाम मंदिरों में सीनियर सिटीजन के लिए अलग से सुगम इंतजाम किए जा चुके हैं।

महामाया मंदिर में भी सीनियर . (उम्रदराज श्रद्धालुओं ) सिटीजन के लिए ऐसी कोई व्यवस्था जल्द ही आकार लेगी इसकी उम्मीद ही की जा सकती है। इसी तरह महामाया मंदिर में नवरात्र के दौरान वीआईपी और वीवीआईपी के दर्शनों के लिए अत्यंत सम्मानजनक और सुविधाजनक व्यवस्थाएं की जाती हैं। हर दिन बड़ी संख्या में आम श्रद्धालुओं के साथ ही वीआईपी और वीवीआईपी भी माता के दर्शनों के लिए पहुंचते रहे हैं। सप्तमी और अष्टमी तथा रविवार के दिन ऐसे वीआईपी और वीवीआईपी दर्शनार्थियों की भीड़ भी काफी अधिक हो जाती है। वहीं इन तीनों दिनों में आम श्रद्धालुओं की भीड़ भी हजारों हजार की संख्या में मंदिर परिसर में कतार बद्ध रहा करती है। सप्तमी और अष्टमी को श्रद्धालुओं की कतार माता के मंदिर से लेकर मुख्य सड़क पर बने गेट से भी आगे तक चली जाती है।

ऐसी स्थिति में नवरात्रि की पहली तिथी से सप्तमी के दोपहर 2 बजे तक ही वीआईपी दर्शनों की छूट और व्यवस्था होनी चाहिए। इसके बाद सप्तमी को दोपहर 2 बजे से अष्टमी की शाम को देर शाम 7 बजे तक वीवीआईपी और वीआईपी दर्शन पूरी सख्ती से बंद होने चाहिए। अक्सर देखा यह गया जाता है कि मंदिर परिसर में वीआईपी और वीवीआईपी के पहुंचने से मंदिर के पुजारियों से लेकर ट्रस्ट समिति के सभी पदाधिकारी कर्ता-धर्ता और स्वयंसेवक वीआईपी के सेवा-सत्कार में जुट जाते हैं। इससे आम जनता की ओर से इन सब का ध्यान हट जाता है। या कहें कि मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं के जन समुद्र की ओर इन सभी का दुर्लक्ष हो जाता है। और इस बेध्यानी का असर आम श्रद्धालुओं पर पडा करता है। देश के अनेक बड़े मंदिरों पर ने तो वीवीआइपी और वीआईपी दर्शन का कल्चर पूरी तरह बंद हो चुका है।

इसका ही अनुसरण करते हुए महामाया मंदिर में नवरात्र के दौरान नवरात्र की सप्तमी को दोपहर दो बजे से महाष्टमी को देर शाम तक हर तरह का वीआईपी दर्शन बंद कर दिया जाना चाहिए। वही अगर नवरात्र में दो रविवार पडते हैं तो दूसरे रविवार को वीआईपी दर्शन पूरी तरह बंद रहना चाहिए। इससे इन दिनों में भी मंदिर ट्रस्ट समिति और व्यवस्था से जुड़े सैकड़ों स्वयंसेवकों का ध्यान वीआईपी की ओर न रहकर आम श्रद्धालुओं की व्यवस्था करने में लगा रहेगा जिससे उनके लिए मां महामाया के दर्शन करना अधिक आसान तथा सुगम हो जाएगा।।

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