सुप्रीम कोर्ट ने किससे कहा…आप होंगे प्रेसिडेंट…लेकिन यहां ऊंची आवाज में बात मत करिए…. कोर्ट को धमकाने का प्रयास भी मत करिए..
(शशि कोन्हेर) : सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट विकास पर तीखी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने SC बार काउंसिल के अध्यक्ष और एडवोकेट विकास सिंह के व्यवहार पर एक बार फिर नाराजगी जताई और तीखी टिप्पणी की। जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच ने यहां तक कह दिया कि आप बार काउंसिल के प्रेसिडेंट होंगे लेकिन ऊंची आवाज में बात मत करिये… कोर्ट को धमकाने का प्रयास भी मत करिये।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच पॉक्सो से जुड़े एक एसएलपी की सुनवाई कर रही थी। एसएलपी याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के चेयरमैन विकास सिंह ने कोर्ट के 12 जनवरी के उस आदेश पर निराशा जाहिर की।
जिसमें जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस सी. टी. रवि कुमार की बेंच ने इस मामले में रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि इसे सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखे, ताकि सीजेआई इसे उचित बेंच को भेज सकें।
आदेश में कहा गया था कि इस मसले को जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की संयुक्त बेंच द्वारा सुने जाने की आवश्यकता है, क्योंकि पहले उस बेंच ने अलग-अलग सुना था। इस आदेश पर दलील देते हुए एडवोकेट विकास सिंह ने तर्क दिया कि पहले किसी बेंच ने इस मसले को अलग-अलग नहीं सुना था। बल्कि कुछ वक्त पहले जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच ने मामले के शुरुआती बिंदुओं को सुना था।
एडवोकेट विकास सिंह ने किस बात पर उठाए सवाल
एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि यह कैसे कह सकते हैं कि मामले की सुनवाई हुई थी? 5 जनवरी 2023 को जब मैं आया तब मामला जस्टिस शाह और जस्टिस रवि कुमार की बेंच के सामने लिस्ट था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
फिर जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार की बेंच ने नोटिस जारी किया था, लेकिन जस्टिस खानविलकर के रिटायरमेंट के बाद मामला जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस सी.टी. रवि कुमार के सामने लिस्ट हुआ। उसके बाद जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस रवि कुमार के पास गया।
विकास सिंह ने आगे कहा- 5 जनवरी को एक पत्र जारी हुआ और मैं 2 बजे आया, लेकिन उस दिन मामले की सुनवाई नहीं हुई क्योंकि मामला लगा ही नहीं। एडवोकेट विकास सिंह ने आगे कहा, ‘मैं तो जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस रवि कुमार के सामने बहस के लिए तैयार था… माननीय अदालत के सामने भी बहस में कोई परेशानी नहीं है…’।