UCC और संविधान के अनुच्छेद 44 पर बोले उप राष्ट्रपति धनखड़..
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस बात पर खुशी जताई है कि उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन चुका है, जिसने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर दी है। राज्यसभा इंटर्नशिप प्रोग्राम के पांचवें बैच को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि आज हम सभी बहुत खुश हैं ।
क्योंकि भारतीय संविधान में कही गई एक बड़ी आकांक्षा फलीभूत हुई है। उन्होंने कहा, “…भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 यह इजाजत देता है कि भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाए लेकिन यह अब तक रुका हुआ था।”
उन्होंने कहा, “हमारे जहन में राजनीति ने इतना घर कर दिया है कि वह जहर का रूप ले चुकी है, राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रवाद को तिलांजलि देते हुए पलक भी नहीं झपकते और इसी वजह से यह काम अटका पड़ा था।” उन्होंने कहा, “आज हम सभी बहुत खुश हैं। भारतीय संविधान को अपनाने के बाद से सदी के अंतिम चौथाई हिस्से की शुरुआत हो चुकी है और देवभूमि उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता को वास्तविकता बना दिया है।
इस राज्य ने यह कर दिखाया है। मैं सरकार की दूरदर्शिता की सराहना करता हूँ… अपने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करके संविधान के संस्थापकों के सपने को साकार करने के लिए, और मुझे यकीन है कि यह केवल समय की बात है जब पूरा देश इसी तरह के कानून को अपनाएगा।”
उन्होंने कहा कि कुछ लोग अज्ञानतावश समान नागरिक संहिता की आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम कैसे उन चीजों की आलोचना कर सकते हैं जो भारतीय संविधान में लिखित रूप से कहा गया है और हमारे संविधान निर्माताओं का दिया गया आदेश है, और जो लैंगिक समानता लाने के लिए है।
उप राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने का कोई कैसे विरोध कर सकता है? आपको संविधान सभा की बहसों का अध्ययन करना चाहिए, अध्ययन करना चाहिए कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कितनी बार ऐसा संकेत दिया है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि विदेशी घुसपैठिए हमारी मातृभूमि में घुसे पड़े हैं और आम नागरिकों के अधिकार छीन रहे हैं।
अवैध प्रवासियों से उत्पन्न सुरक्षा खतरे पर उप राष्ट्रपति ने कहा, “हमें चुनौतियों को देखना होगा। और राष्ट्र के लिए चुनौती यह है कि लाखों अवैध प्रवासी हमारी भूमि पर रह रहे हैं। क्या यह हमारी संप्रभुता के लिए चुनौती नहीं है? ऐसे लोग कभी भी हमारे राष्ट्रवाद से जुड़े नहीं रहेंगे।
वे हमारे स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाओं के संसाधनों का उपयोग करते हैं। मैं सरकार में सभी से अपेक्षा करता हूं कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें।” उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासी लोकतंत्र के लिए खतरा हैं क्योंकि वे चुनावी प्रणाली को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। वे सामाजिक सद्भाव और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं।