छत्तीसगढ़

सरकारी जमीन पर बेजा कब्जा पार्षद को पड़ा भारी, पार्षद पद से निकाले गए.. कलेक्टर ने दिया आदेश

(शशि कोन्हेर) : कोरबा : कोरबा जिले के कटघोरा विकासखण्ड अंतर्गतनगर पंचायत छुरी के वार्ड क्रमांक 9 के कांग्रेस पार्षद हीरालाल यादव को 5 एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करना भारी पड़ा। कलेक्टर ने उसे बाकी कार्यकाल के लिए अपात्र घोषित कर दिया है। बेजा कब्जा के मामले में यह पहली कार्रवाई है।

नगर पंचायत छुरी की अध्यक्ष नीलम देवांगन ने कलेक्टर न्यायालय में आवेदन किया था कि पार्षद हीरालाल यादव ने नगर पंचायत क्षेत्र में पुष्प वाटिका के लिए प्रस्तावित स्थल पर लगभग 5 एकड़ पर अतिक्रमण कर बाउंड्री बना ली है। कटघोरा तहसीलदार ने जब इसकी जांच की तो सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करना पाया गया।

एसडीएम कटघोरा ने भी मामले में प्रकरण दर्ज कर पार्षद को नोटिस जारी किया था। कलेक्टर ने आदेश में कहा है कि कोई भी जनप्रतिनिधि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करता है तो वह गंभीर प्रकरण है। इससे जनता में नकारात्मक संदेश जाता है। इससे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों को प्रश्रयमिलेगा।

इस वजह से पार्षद हीरालाल यादव के वर्तमान कार्यकाल के शेष अवधि के लिए पार्षद होने के पात्र नहीं रहेंगे। नगर पंचायत में कांग्रेस से ही नीलम देवांगन अध्यक्ष हैं। पहली बार किसी पार्षद को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने पर कार्रवाई की गई है।

एल्डरमैन का भी कब्जा हटवाया था प्रशासन ने : विगत महीने में नगर पालिक निगम कोरबा के एल्डरमैन एवं बुधवारी वार्ड के पार्षद सुखसागर निर्मलकर के द्वारा घंटाघर मार्ग में शबरी एंपोरियम के बगल योजना के लिए आरक्षित भूमि पर बेजा निर्माण कराया जा रहा था। इसकी जानकारी होने पर निगम के अतिक्रमण रोधी दस्ते ने यहां राजस्व और पुलिस अमले के साथ पहुंचकर अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की।

हालांकि इस मामले में एल्डरमैन पर कोई कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन उनका कब्जा जरूर हटाया गया जिसकी शहर में चर्चा रही। जिले के नगरीय निकाय क्षेत्रों में और भी कई निकाय प्रतिनिधि जो वर्तमान में कार्यरत हैं और पूर्व रह चुके हैं, उनके द्वारा भी जमीनों पर कब्जा किया और कराया गया है। कईयों ने तो बेजा कब्जा की जमीनों को बिक्री कर इससे अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर अपने लिए संपत्ति का भी निर्माण कर लिया है। नगर पंचायत छुरी के मामले में की गई कार्यवाही की तरह अन्य अतिक्रमणकारियों पर भी शिकंजा कसा जाना चाहिए, पर सवाल है कि इसकी शिकायत की जहमत कौन उठाएगा।

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