अपनी मां के साथ भाजपा छोड़ने के बार-बार संकेत दे रहे हैं वरुण गांधी….सवाल यह है कि जाएंगे कहां.. अखिलेश के दर पर या अपने पिता की पार्टी में
(शशि कोनहेर) : यूपी के पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी लगातार सुर्खियों में रहते हैं। वे लंबे समय से अपनी ही पार्टी की योजनाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बीते दिन वरुण संसदीय क्षेत्र पीलीभीत पहुंचे, जहां उन्होंने फिर से सरकारी नौकरियों को लेकर सवाल खड़े किए। साथ ही, निजीकरण को लेकर भी निशाना साधा।
उल्लेखनीय है कि वरुण बेरोजगारी,निजीकरण अग्निवीर योजना, किसानों आदि के मुद्दों पर अपनी ही सरकार की नीतियों पर हमला बोलते रहे हैं। इसी वजह से कयास भी लगाए जा रहे हैं कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा वरुण गांधी का टिकट भी काट सकती है। हालांकि, पार्टी ने अब तक इस बारे में कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
दरअसल, एक दिवसीय संसदीय क्षेत्र पीलीभीत दौरे पहुंचे सांसद वरुण गांधी ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि पीलीभीत उनका घर है।
वरुण गांधी अब तक यूपी के सुल्तानपुर और पीलीभीत से सांसद रहे हैं। इसमें से दो बार पीलीभीत से जीत दर्ज की है। वरुण गांधी वर्तमान समय में भी पीलीभीत से ही सांसद हैं। बीते दिनों उन्होंने एक ऐसा बयान दिया था जिससे लोगों को साफ हो गया था कि वे अपना अगला लोकसभा चुनाव कहां से लड़ने जा रहे हैं। पीलीभीत में ही उन्होंने कहा था कि वहां से उनका खून का रिश्ता है।
जब तक मैं और मेरी मां हैं, तब तक हम आपकी आवाज उठाते रहेंगे। इस बयान के जरिए वरुण ने क्लियर कर दिया कि वे पीलीभीत से ही लड़ने वाले हैं और किसी अन्य सीट से चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। हालांकि, अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि क्या भाजपा उन्हें उम्मीदवार बनाएगी या फिर किसी और दल से मैदान में ताल ठोंकेंगे।
एक समय यूपी में भाजपा का सीएम फेस माने जाने वाले वरुण गांधी पिछले कई सालों से अपनी पार्टी से कथित तौर पर नाराज बताए जा रहे हैं। इसका अंदाजा उनके बयानों से भी लगता रहा है। फिर चाहे पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू को लेकर उनका बयान हो या फिर हिंदू-मुस्लिम को लेकर दिया गया भाषण। इसके जरिए वरुण का कांग्रेस की ओर झुकाव देखा जा रहा था। हालांकि, इसके बाद उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी तारीफ की थी।
जिसके बाद यह भी जानकारी सामने आई थी कि वे अपनी चचेरी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा और अखिलेश व जयंत चौधरी के साथ संपर्क में हैं। सूत्रों के अनुसार, पीलीभीत से ही वरुण गांधी लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतर सकते हैं।
अपनी ही पार्टी की योजनाओं पर निशाना साधने से सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर वरुण गांधी का इरादा क्या है। साथ ही, अब जब आम चुनाव में महज सालभर का समय शेष है, तो वरुण के सियासी भविष्य पर कब स्पष्ट तरीके से पता चल सकेगा।