पीएम मोदी की बेहद विश्वस्त, द्रौपदी मुर्मू की वो खूबियां, जिनकी वजह से एनडीए ने बनाया राष्ट्रपति उम्मीदवार
(शशि कोन्हेर) : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेहद विश्वस्त द्रौपदी मुर्मू झारखंड में सबसे अधिक समय तक राज्यपाल के पद पर आसीन रहीं। यहां तक कि पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद भी इस पद पर बनी रहीं थीं। इस तरह, इनका कार्यकाल छह माह 18 दिन तक रहा था। ये 18 मई 2015 से 13 जुलाई 2021 तक इस पद पर रहीं।
सबसे बड़ी बात यह कि इनका पूरा कार्यकाल विवाद रहित रहा। झारखंड की राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू हमेशा यहां के आदिवासियों तथा छात्राओं के हितों के लिए सजग और तत्पर रहीं। इसे लेकर कई बार उन्होंने राजभवन में विभिन्न विभाग के पदाधिकारियों को बुलाकर आवश्यक निर्देश दिए।
सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक लौटाया
राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने अपनी ही सरकार द्वारा विधानसभा से पारित कराई गई सीएनटी-एसपीटी में संशोधन से संबंधित विधेयक लौटाया। इतना ही नहीं, उन्होंने वर्तमान सरकार में जनजातीय परामर्शदातृ समिति (टीएसी) के गठन संबंधित फाइल लौटाई।
हालांकि राज्य सरकार ने बाद में इसमें संशोधन कर उसमें राजभवन की भूमिका ही खत्म कर दी। वर्तमान राज्यपाल ने भी विधि परामर्श लेने के बाद टीएसी के गठन को गलत ठहराया है।
राष्ट्रपति के पिछले चुनाव में भी चर्चा में थीं द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति के पिछले चुनाव में भी द्रौपदी मुर्मू का नाम प्रमुख दावेदार के रूप में उभरा था। इसके पीछे उनके कार्यों और उनकी सादगी का तर्क दिया जा रहा था। हालांकि अंत में एनडीए ने वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को अपना प्रत्याशी बनाया।
शाकाहारी हैं द्रौपदी मुर्मू, पूरे राजभवन में लगाया प्रतिबंध
द्रौपदी मुर्मू शाकाहारी हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने पूरे राजभवन में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाया था। राजभवन परिसर में रहनेवाले पदाधिकारियों व कर्मियों के आवासों में भी मांस-मछली का बनना प्रतिबंधित था।
चांसलर रहकर उच्च शिक्षा को दी उंचाई
कुलाधिपति के रूप में भी द्रौपदी मुर्मू ने उच्च शिक्षा के विकास में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसमें चांसलर पोर्टल शुरू करना भी इनकी बड़ी उपलब्धि थी, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफार्म पर लाकर एक साथ नामांकन से लेकर, निबंधन और परीक्षा के फार्म भरने की प्रक्रिया शुरू की गई। इनके कार्यकाल में विश्वविद्यालयों में गुणी व अनुभवी कुलपतियों और अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई।
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में उन्होंने जमशेदपुर में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर प्रयास किए, जिसके बाद जमशेदपुर महिला कालेज को विश्वविद्यालय के रूप में अपग्रेड किया गया। द्रौपदी मुर्मू पहली राज्यपाल थीं।
जिन्होंने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में जाकर वहां पढ़ाई कर रहीं छात्राओं की समस्याओं को जानने का प्रयास किया। साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिए।