बिलासपुर

VIDEO : जानलेवा गड्ढों की लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों पर कब होगी कार्रवाई..? अलका एवेन्यू के पास युवक की मौत के लिए कौन है दोषी..?

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – बीते 15-20 सालों से महानगर बनने के झूठे दावे कर रहे बिलासपुर शहर में अगर कोई सबसे आसान काम है, तो वह है गड्ढों की खुदाई। चाहे जो विभाग हो। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, (पीएचई) पीडब्ल्यूडी, नगरनिगम अथवा, और कोई विभाग..! इन्हें बिलासपुर शहर की सड़कों नाले नालियों में गड्ढे करने की पूरी छूट है। अगर आपके पास जेसीबी है। तो किसी भी विभाग के अफसरों की जी हुजूरी करिए..और फिर उनकी कृपा से सड़कों की, गलियों और चौक चौराहों की खुदाई में लग जाइए।

शहर के लोक निर्माण विभाग, पीएचई अथवा नगर निगम के अधिकारी शायद यह भूल जाते हैं कि विभिन्न कारणों से उन्होंने बिलासपुर शहर की सड़कों गलियों चौक चौराहों में जो छोटे बड़े गड्ढे कराए हैं। उन्हें बंद करना और वहां बेरीकेटिंग तथा लाइट की रोशनी करना भी उनकी ही जिम्मेदारी है। लेकिन बिलासपुर में ठेके के तहत काम करने वाले लोगों की निगरानी पर तैनात अफसर, चांदी के टुकड़ों के दम पर उन्हें बहुत सारी छूट दे देते हैं। पहले भी शहर में सीवरेज की खुदाई के दौरान बिलासपुर वासियों की मौतें हुई हैं। लेकिन उनके लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। और नंबर तक परिवार को पर्याप्त मुआवजा अथवा परिजनों को कोई नौकरी आदि दी गई। हमें पता है कि इस गूंगे बहरे शहर में अलका एवेन्यू में दीनदयाल रोड के पास नाले के लिए की गई खुदाई में अपनी जान गवाने वाले युवक और उसके परिजनों को भी न्याय नहीं मिलेगा। आज बिलासपुर शहर में सीवरेज के आधे से ज्यादा मेनहोल तकनीकी रूप से खराब और बर्बाद हो चुके हैं। उनके कारण सड़कों पर चलने वाले लोगों मोटर गाड़ियों को जानलेवा परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। लेकिन उन्हें ठीक करने की चिंता कोई नहीं करता।

इसी तरह अलका एवेन्यू के पास गड्ढे में एक युवक की जान जाने के बाद भी बिलासपुर शहर के अधिकारियों और उनके पसंदीदा ठेकेदारों में पता नहीं यह इंसानियत कब जागेगी कि उनके द्वारा की गई खुदाई से जो गड्ढे बने हैं… उन्हें पाटना भी उनका ही काम है। इससे भी अधिक शर्मनाक बात यह लगती है कि बिलासपुर में हमेशा से विपक्ष में रहने वाले लोग भी ऐसी घटनाओं में उदासीन रहते हैं। शायद उन्हें भी ऐसी घटनाओं में व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन करने या आक्रोश प्रदर्शित करने की बजाय, अफसरों और ठेकेदारों की, जी हुजूरी ही,अधिक फायदेमंद दिखाई देती है।

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