विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया गया
(मुन्ना पाण्डेय) : लखनपुर -(सरगुजा) – डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल केवरी लखनपुर में स्वामी विवेकानंद की जयंती, राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भावपूर्ण ढंग से मनाई गई. कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के शिक्षक शुभम कंसारी ने किया. उन्होंने स्वामी विवेकानंद की जीवनी विस्तार से बच्चों के समक्ष प्रस्तुत की और बताया की स्वामी विवेकानंद जब पहली बार विश्व धर्म संसद जो कि शिकागो, अमेरिका में 11 सितंबर 1993 को आयोजित हुई थी, में भाग लेने पहुंचे थे. उस समय उनके वस्त्रों का उपहास उड़ाया गया जिसके जवाब में बिना विचलित हुए स्वामी जी ने जवाब दिया कि मैं उस देश से हूं जहां किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्धारण उसके वस्त्र से नहीं किया जाता अपितु उसके चरित्र से किया जाता है। विश्व धर्म संसद में उन्होंने पहली बार लेडीज एंड जेंटलमेन जैसे संबोधन की जगह जब अमेरिका के भाइयों और बहनों का संबोधन दिया तो कुछ मिनटों तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही क्योंकि इससे पहले इतनी आत्मीयता भरे शब्दों से किसी ने भी ऐसी सभा को संबोधित नहीं किया था.। विद्यालय के प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद से जुड़े कई संस्मरण बताएं. उन्होंने बताया की स्वामी विवेकानंद ने प्रमुखतः अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस के संदेश का प्रचार प्रसार पूरे देश में किया. स्वामी विवेकानंद के द्वारा श्री रामकृष्ण परमहंस मठ की स्थापना बैलूर में की गई जिसे बेलूर मठ के नाम से जाना जाता है और यह हावड़ा जिले में अवस्थित है. स्वामी विवेकानंद एक सच्चे साधक, दार्शनिक, और अच्छे शिष्य तो थे ही, साथ ही देश की स्वतंत्रता के पक्षधर थे और संगीत में काफी अभिरुचि रखते थे. स्वामी जी ने अपने उद्बोधन में समस्त युवाओं का आह्वान किया है और कहा है कि युवा ही विश्व का पुनर्निर्माण कर सकते हैं. प्राचार्य ने आगे बताया की हम जिस विद्यालय में पढ़ते हैं उस विद्यालय से जो संस्कार सीखते हैं उससे हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है. आज हमने स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई है अगर हम अपने साथ कुछ अच्छे संस्कार, अच्छे विचार और प्रेरणा के बगैर घर गए तो ऐसे कार्यक्रम का मनाना निरर्थक होगा. उन्होंने अपने उद्बोधन में विद्यालय के समस्त छात्र छात्राओं, शिक्षक और शिक्षिकाओं को राष्ट्रीय युवा दिवस की बधाई दी.
कार्यक्रम में कक्षा 8वीं के छात्र श्रेयस राय ने स्वामी विवेकानंद की वेशभूषा धारण कर अपनी प्रस्तुति से सभी को प्रभावित किया.