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क्या एवरेस्ट पर सबसे पहले पहुंचने वाला शख्स कोई और ही था? 75 साल बाद चोटी के करीब मिली एक लाश ने उलझा दी गुत्थी

(शशि कोन्हेर) : हर साल, सैकड़ों एडवेंचर प्रेमी एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश करते हैं. हजारों लोग बेस कैंप पहुंचकर लौट चुके होते हैं. जो बाकी रहते हैं, वे किसी न किसी पड़ाव से लौटते हैं. कई लोग रास्ते में किसी हादसे का शिकार होकर जान गंवा देते हैं. इसके बाद भी पहाड़ उन्हें बख्शते नहीं. अक्सर ये लाशें अपने घर, अपने शहर पहुंचने की बजाए बर्फ में गुम हो जाती हैं और सालों बाद मिलती हैं, जब कोई उसे पहचानता भी न हो. ऐसी ही एक लाश 1999 में मिली, लेकिन उसे पहचान लिया गया. ये ब्रिटिश पर्वतारोही जॉर्ज मैलोरी थे.

ब्रिटेन के चेशायर में जन्मे मैलोरी ब्रिटिश आर्मी में लेफ्टिनेंट थे, जब पहला विश्व युद्ध छिड़ा. युद्ध खत्म होने के बाद वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गेस्ट फैकल्टी की तरह काम करने लगे. लेकिन जल्द ही उनका मन इससे भी भर गया, और वे एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी में जुट गए.

इस काम में उनके साथ थे एंड्र्यू इर्विन. पहली बार इस पर्वतारोही जोड़े ने बिना ऑक्सीजन चढ़ने की ठानी. यहां तक कि बर्फ के तूफानों को पार करते हुए वे लगभग 27 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच भी गए. ये अपने-आप में एक रिकॉर्ड था.

इसके बाद पहाड़ चढ़ना मुश्किल होने लगा. हवा में ऑक्सीजन लगातार कम हो रही थी. सांस लेना दूभर होने पर उन्हें नीचे आना पड़ा. इसके बाद ऑक्सीजन लेकर वे ऊपर गए, लेकिन साथियों की लगातार मौत की वजह से एक के बाद एक तीन बार वे चोटी के करीब पहुंचकर लौट गए. मैलोरी अब 37 साल के हो चुके थे. इस बार उन्होंने आर-पार का तय कर लिया. एक बड़ी टीम साथ चली, जिसमें डॉक्टर और शेरपा भी थे, लेकिन मौसम लगातार बिगड़ता गया और लोग एक-एक करके पीछे हटते गए.

अब सिर्फ मैलोरी और इर्विन बाकी थे. 8 जून को वे 6वें कैंप से निकले. वे 28 हजार फीट से भी ऊपर जा चुके थे. उनके पीछे एक और पर्वतारोही नोएल ऑडेल थे. वे देख पा रहे थे कि कुछ ही देर में दोनों शिखर पर होंगे. इसके बाद ऑडेल बर्फ की आंधी में पिछड़ गए और वापस लौट गए. यही आखिरी बार था, जब मैलोरी और इर्विन को देखा गया. इसके बाद उनकी कोई खबर नहीं मिली.

नीचे लौटे हुए ऑडेल ने इस बारे में खबर की. खोजबीन भी हुई लेकिन दोनों का कुछ पता नहीं लगा. अंदाजा लगाया जाता रहा कि वे बर्फ में ही खत्म हो गए होंगे. इस बीच कइयों ने दावा किया कि अगर इतनी ऊंचाई तक पहुंचे थे, तो वही लोग एवरेस्ट चढ़ने वाले सबसे पहले पर्वतारोही कहलाएंगे, लेकिन ज्यादातर ने इस दावे को खारिज कर दिया.

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