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अपनी सजा के खिलाफ सूरत के सेशंस कोर्ट में, क्या दलीलें दी हैं राहुल गांधी ने

(शशि कोन्हेर) : मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर दो साल की सजा और फिर लोकसभा सदस्यता छिनने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीजेएम कोर्ट के फैसले को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को बहन प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पहुंचे राहुल को सेशंस कोर्ट ने 13 अप्रैल तक जमानत दे दी है। वहीं, उनकी सजा पर रोक की याचिका पर 3 मई को सुनवाई होनी है।

राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा, किरीट पानवाला और तरन्नुम चीमा की टीम ने दलीलें पेश की हैं। अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने सेशंस कोर्ट के सामने कई दलीलें रखी हैं। उन्होंने भाजपा नेता पूर्णेश मोदी की ओर दायर की गई याचिका पर मिली सजा का आधार ही गलत बताते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को इसका अधिकार नहीं था। राहुल गांधी ने कहा है कि सिर्फ नरेंद्र मोदी ही ऐसा कर सकते थे। उन्होंने इसके अलावा भी करीब आधा दर्जन दलीलें दी हैं।

बारएंडबेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी की ओर से की गई टिप्पणी को उनकी लीगल टीम ने पीएम मोदी के लिए व्यक्तिगत बताते हुए कहा है कि केवल वही शिकायत कर सकते थे। उन्होंने कहा, ‘व्यक्तिगत रूप से नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित लांछन के लिए, केवल नरेंद्र मोदी को ही मानहानि के अपराध से पीड़ित व्यक्ति के रूप में माना जा सकता है। वही इसके लिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पूर्णेश मोदी प्रतिवादी/शिकायतकर्ता को कोई अधिकार नहीं है।’

रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी ने दूसरी दलील में यह भी कहा है कि वह विपक्षी नेता हैं और उन्हें सरकार को लेकर सक्रिय और आलोचक रहना है। उन्होंने सरकार की आलोचना को अपना काम बताया है। उन्होंने यह भी कहा है कि विपक्षी नेता ऐसा करते हुए हमेशा शब्दों को सुनहरे तराजू से तौल नहीं सकते हैं। इसलिए अदालतों को भाषण के स्वर और भाव की जगह सार और भावना पर ध्यान देना चाहिए। तीसरी दलील में कहा गया है कि केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता को झटका लगा था या उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची थी, यह उसे पीड़ित व्यक्ति नहीं बनाता है।

बारएंडबेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी की लीगल टीम ने कोर्ट के सामने यह भी दलील दी है कि दस्तावेजों में मोदी समाज का जिक्र नहीं है और इस उपनाम का इस्तेमाल हिंदुओं की कई जातियों के अलावा मुस्लिम और पारसी भी करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मोद वानिक समाज और मोद गांची समाज सालों से साथ रहते आए हैं। लेकिन शिकायतकर्ता की ओर से दिए गए दस्तावेजों में कहीं भी मोदी समाज का जिक्र नहीं है।’ कांग्रेस के पूर्व सांसद ने पांचवीं दलील में कहा है कि पूर्णेश मोदी ने राजनीतिक उद्देश्यों से उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था। राहुल की टीम की ओर से दलील दी गई है कि मानहानि का अपराध क्रिमिनिल प्रोसिजर कोड 1973 के तहत अनुच्छेद 2 (W) ‘समन केस’ के तहत आता है जबकि मौजूदा केस में ‘वारंट केस’ की प्रक्रिया अपनाई गई। एक दलील यह भी दी गई है कि जज की ओर से कोई पुरानी मिसाल नहीं दी गई और अधिकतम सजा दी गई।

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