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VIDEO : ये हलाल चाय क्या है’, पैकेजिंग देख यात्री ने ट्रेन में किया हंगामा…..

(शशि कोन्हेर) : इंडियन रेलवे के अधिकारी और हलाल-सर्टिफाइड चाय परोसे जाने से भड़के यात्री के बीच तीखी नोकझोंक का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में यात्री को रेलवे कर्मचारियों से यह सवाल करते देखा जा सकता है ।

कि आखिर यह हलाल-प्रमाणित चाय क्या है? वह पूछता है कि इसे सावन के महीने में क्यों परोसा जा रहा है? दूसरी ओर, नाराज यात्री को रेलवेकर्मी यह समझाता नजर आ रहा है कि चाय पूरी तरह से शाकाहारी है।

यात्री ने रेलवे अधिकारी से कहा, ‘सावन का महीना चल रहा है और आप हमें हलाल-सर्टिफाइड चाय पिला रहे हैं?’ पैकेट को देखते हुए वह पूछता है कि आखिर यह है क्या? पैसेंजर ने कहा, ‘क्या आप जानते हैं?

आप हमें बताएं कि हलाल-सर्टिफाइट क्या है। हमें यह पता होना चाहिए। हम ISI प्रमाणपत्र जानते हैं, आप यह बताएं कि हलाल प्रमाणपत्र क्या होता है।’ आसपास और भी कई यात्री मौजूद हैं जो पूरे घटनाक्रम को देख रहे हैं।

रेलवे स्टाफ ने कहा- यह 100% शाकाहारी
रेलवे स्टाफ यात्री को समझाते हुए कहता है कि ‘यह मसाला चाय प्रीमिक्स है। मैं आपको समझाता हूं। यह 100% शाकाहारी है।’ इस पर यात्री सवाल करता है कि तो फिर यह हलाल सर्टिफाइड क्या है?

यात्रा के बाद मुझे बाद पूजा करनी है। अब रेलवे कर्मचारी सवाल करता है कि क्या आप वीडियो बना रहे हैं? हम आपको बता रहे हैं कि यह 100% शाकाहारी है। चाय वेज ही तो होता है सर।

पैसेंजर ने कहा कि मुझे कोई धार्मिक सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। प्लीज आप भावनाओं को ध्यान में रखें। ऐसा कुछ है तो आप स्वास्तिक प्रमाण पत्र लगाएं। स्टाफ ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ठीक है, हम इसे ध्यान में रखेंगे।

यह वीडियो सोशल मीडियो पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई सारे यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि चाय प्रीमिक्स को हलाल सर्टिफिकेट की क्या जरूरत है? इस बीच कुछ यूजर्स रेलवे अधिकारी के धैर्य की सराहना कर रहे हैं।

IRCTC ने बताई हलाल सर्टिफिकेट की सच्चाई
इस मामले को लेकर अब आईआरसीटीसी की सफाई आई है। IRCTC की ओर से ट्वीट करके कहा गया, ‘निर्माता कंपनी इस उत्पाद को दूसरे देशों में भी निर्यात करती है, जहां ऐसे उत्पादों के लिए हलाल सर्टिफिकेशन जरूरी है।’

साथ ही आईआरसीटीसी ने कहा कि इस ब्रैंड की चाय को FSSAI सर्टिफिकेशन प्राप्त है और यह उत्पाद 100% शाकाहारी है। आईआरसीटीसी की सफाई आने के बाद अब यह माना जा सकता है कि हलाल सर्टिफाइड चाय को लेकर बनी भ्रम की स्थिति दूर हो जाएगी।

क्या है हलाल सर्टिफिकेशन?
हलाल सर्टिफिकेशन का इस्तेमाल पहली बार 1974 में वध किए गए मांस के लिए शुरू हुआ। 1993 तक यह केवल मांस उत्पादों तक लागू रहा। बाद में इसे अन्य खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं आदि तक भी बढ़ा दिया गया। हलाल का वास्तविक मतलब है कि इस्लामी कानून का पालन करते हुए तैयार किए जाने वाले उत्पाद। साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने मांग की गई।

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