कांग्रेस में सचिन पायलट का सियासी भविष्य क्या होगा, कर्नाटक के नतीजे तय करेंगे
(शशि कोन्हेर) : राजस्थान में सचिन पायलट के अनशन के बाद सियासी हालात तेजी से बदलते जा रहे हैं। पायलट लगातार बगावती तेवर बनाए हुए हैं। फीडबैक कार्यक्रम से दूरी बनाकर पायलट ने साफ संकेत दे दिया है कि वह पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। दूसरी तरफ सीएम अशोक गहलोत ने दिल्ली पहुंचते ही संकेत दिया है कि विधानसभा चुनाव में पायलट समर्थकों के टिकट काटे जा सकते हैं।
सीएम गहलोत ने पायलट को नसीहत देते हुए कहा कि ऐसा कोई काम न करें, जिससे सरकार का नुकसान हो। सबको साथ मिलकर काम करना चाहिए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट के अनशन से काफी नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि, राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद मामले के ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस में सचिन पायलट का सियासी भविष्य क्या होगा, कर्नाटक के नतीजे तय करेंगे।
कर्नाटक चुनाव से पहले किसी तरह का जोखिम नहीं
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी आलाकमान कर्नाटक चुनाव से पहले किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता है। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के बाद ही पायलट पर कोई निर्णय संभव है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे ही सचिन पायलट का सियासी भविष्य तय करेंगे।
पार्टी आलाकमान ने इस बार सचिन पायलट को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं कर तेवर भी दिखा दिए है। राजस्थान से सिर्फ सीएम अशोक गहलोत को ही स्टार प्रचारक बनाया गया है। हालांकि, पार्टी ने पंजाब उप चुनाव के प्रचार की जिम्मेदारी सचिन पायलट को सौंपी है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान इस बार पायलट के अनशन से नाराज बताया जा रहा है।
पायलट समर्थकों को तेवर बरकरार
दूसरी तरफ सचिन पायलट के समर्थक लगातार बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। पायलट समर्थक माने जाने वाले मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने पार्टी आलाकमान को चुनौती देते हुए साफ कहा- ‘किसी ने मां का दूध पीया है तो वो सचिन पायलट पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करके दिखाए। यदि ऐसा होता है तो छठी का दूध याद आ जाएगा।’ पायलट समर्थक माने जाने वाले विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने स्टार प्रचारक नहीं बनाए जाने पर इशारों ही इशारों में आलाकमान पर तंज कसा है।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने गुढ़ा की चेतावनी पर कहा कि पार्टी आलाकमान सब देख रहा है। सचिन पायलट के बारे में निर्णय प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, केसी वेणुगापोल और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ही लेना है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले गहलोत कैंप के विधायक कर्नाटक चुनाव का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन पायलट पर निर्णय लेना आसान नहीं होगा। राजस्थान में चुनाव के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में पायलट की अनदेखी से पार्टी को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है।