जब मुझे जेड-प्लस सुरक्षा दी गई…. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने पुणे रेलवे स्टेशन का सुनाया दिलचस्प किस्सा
(शशि कोन्हेर) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हाल ही में नागपुर में छात्रों को संबोधित करते हुए एक दिलचस्प किस्सा सुनाया। आरएसएस चीफ ने कहा, ‘जब उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा दी गई तो शुरुआत में उन्हें बहुत अच्छा महसूस हुआ। हालांकि, एक दिन जब वह अपनी पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ पुणे रेलवे स्टेशन पर उतरे, तो उन्हें एहसास हुआ कि आम लोग उन्हें कैसे देखते हैं।’
RSS चीफ ने आगे बताया, ‘ट्रेन सुबह जल्दी पहुंची और सुरक्षा व्यवस्था के कारण प्लेटफॉर्म पर सो रहे कई यात्रियों को असुविधा हुई। उन्होंने कहा कि जब वो एक दंपत्ति के पास से गुजर रहे थे तो उनकी नींद में खलल पड़ गई और वो दोनों जाग गए तो उन्होंने महिला को अपने पति से पूछते हुए सुना कि वह (भागवत) कौन है। भागवत के मुताबिक, पति ने जवाब दिया, “लगता है कोई बड़ी मछली फंस गई है।” भागवत ने कहा, ”उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं कौन हूं।”
‘आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक भेदभाव हो’
इस दौरान मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर भी बड़ा बयान दिया था। उन्होंने नागपुर में कहा था कि समाज में जिस तरह का भेदभाव मौजूद है, उसे दूर करने के लिए आरक्षण का होना बेहद जरूरी है। हमने अपने ही साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की और यह लगभग 2,000 वर्षों से हो रहा है। जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं करते, कुछ विशेष उपाय करने होंगे। उन्होंने कहा था कि मेरा मानना है कि इन्हीं उपायों में से एक है आरक्षण। आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव हो। संघ संविधान में दिए गए आरक्षण का पूरा समर्थन करता है।
सरसंघचालक ने कहा कि आरक्षण केवल वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नहीं, बल्कि सम्मान देने के लिए भी है। RSS चीफ ने कहा कि भेदभाव झेलने वाले समाज के कुछ वर्गों ने 2000 साल तक यदि परेशानियां उठाई हैं तो क्यों न हम ( जिन्होंने भेदभाव नहीं झेली है) और 200 वर्ष कुछ दिक्कतें उठा सकते हैं?।
मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले ही परिवार व्यवस्था को लेकर भी अपने विचार रखे थे। आरएसएस चीफ ने उस दौरान कहा था कि दुनिया भर में परिवार व्यवस्था खत्म हो रही है, लेकिन भारत इस संकट से बच गया है, क्योंकि ‘सच्चाई’ इसकी नींव है। मोहन भागवत ने नागपुर में वरिष्ठ नागरिकों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि हमारी संस्कृति की जड़ें सत्य पर आधारित हैं, हालांकि इस संस्कृति को उखाड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।