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कब मिलेगा कुख्यात विकास दुबे को पकड़ने का पांच लाख इनाम?

(शशि कोन्हेर) : विकास दुबे…जिंदा या मुर्दा… पकड़ने या पता बताने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। यह सरकार का ऐलान था। लेकिन उज्जैन के महाकाल के सेवक, जिन्होंने उसे पहचाना और पकड़ा… तीन साल बाद भी निराश हैं। उन्हें इनाम तो दूर ढंग से पहचान तक न मिली। अपराधी पकड़ा गया, मारा गया…

मामला अदालत के दस्तावेजों में बासी पड़ने लगा। महाकाल के तीनों सेवक कहते हैं.. कमेटी ने जांच कर हमारे नाम तय किए। कागज बने, दस्तखत हुए पर इनाम तो नहीं मिला। कोई बताता भी नहीं कि इनाम हमें क्यों नहीं मिला?

विकास दुबे कितना दुर्दांत था, इसे ऐसे समझा जा सकता है कि उसने कभी अपने गुरु के सीने में गोली उतार दी, कभी प्रतिद्वंद्वी को मार डाला। मंत्री को थाने के अंदर गोलियों से भून दिया। कुछ दिन फरार फिर जेल में रहा और एक दिन छूट गया। बरसों तक दहशत की कमाई खाने के बाद तीन साल पहले फिर दुर्दांत की रायफल ने आग उगली। इस बार  इंसानियत के साथ कानून के रखवाले भी शिकार हुए।

उसने सीओ समेत आठ पुलिस वालों की हत्या कर डाली। पुलिस ढूंढ़ती रह गई, वह छलावे की तरह निकल भागा। 2020 की जुलाई के पहले हफ्ते में पूरे देश की पुलिस उसे ढूंढ़ रही थी। टीवी स्क्रीन पर दिन भर उसका मोस्ट वांटेड चेहरा चमकता था।

ऐसे खूंखार को उज्जैन के महाकाल मंदिर में जिन्होंने सबसे पहले देखा, पहचाना और पकड़वाया… उनके जोखिम और जांबाजी की कद्र नहीं हुई। तीन साल बाद भी उज्जैन के उन तीन लोगों को विकास दुबे पर घोषित इनाम के पांच लाख रुपये नहीं मिले हैं।

कलेजा कांप गया, छूट गया था पसीना
तीन साल पहले 2/3 जुलाई की रात हुआ बिकरू कांड भुलाए नहीं भूलता। वह भले ही सात दिन बाद एनकाउंटर में मार गिराया गया, उस कांड की यादें कानपुर के आसपास के लोगों का पीछा किसी दु:स्वप्न की तरह करती हैं। उधर, उज्जैन के सुरेश, राहुल शर्मा और रवि इस कांड को मायूसी से याद करते हैं।

‘हमने जब उसे पहचाना… कलेजा कांप गया। रोज उस हत्यारे को टीवी पर देख रहे थे। उसे रोक कर रखने और पुलिस को सूचना देने में पसीना छूटा गया। उसके बाद तो तमाम कैमरों ने हमारी फोटो ली। माइक लगा कर सवाल पूछे गए। कहा गया उस हत्यारे पर घोषित इनाम हमें मिलेगा। लिखा पढ़ी चली। हमारे दस्तखत जाने कितने कागजों पर लिए गए… मिला कुछ नहीं।’

इनाम का फैसला करने को बनी थी कमेटी
विकास दुबे 09 जुलाई 2020 को महाकाल मंदिर में तीनों सेवकों की सूचना पर पकड़ा गया था। उस पर घोषित इनाम किसे दिया जाए? इसका निर्णय करने को एमपी पुलिस ने एक कमेटी बनाई थी। अंतिम रूप से तय हुआ था मंदिर में फूल बेचने वाले सुरेश, सुरक्षाकर्मी राहुल शर्मा और एक अन्य कर्मचारी रवि शर्मा इसके हकदार हैं।

इनके नाम भी मप्र पुलिस ने उत्तर प्रदेश शासन को भेजे। रवि शर्मा और सुरक्षा कर्मी राहुल बताते हैं- 2022 के नवंबर तक पुलिस हमसे इस बाबत बात करती रही। बताया कि इनाम के लिए नाम भेजा गया है। पर हम आज भी इंतजार कर रहे हैं। अब भी कभी-कभी मीडिया वाले या दूर-दूर से आए भक्त वह घटना पूछते हैं पर पुलिस इनाम के लिए कुछ नहीं बताती।

पुलिस अफसरों को कुछ नहीं पता
इस बाबत कानपुर और उज्जैन दोनों शहरों के पुलिस अफसरों के पास कोई जानकारी नहीं है। कानपुर के पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड ने कहा-मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। जबकि डीआईजी उज्जैन मनीष कपूरिया बोले- यह मेरी तैनाती से काफी पहले की घटना है। हां मुझे यह पता है कि मंदिर के तीन लोगों को इनाम मिलना था।  मगर वह मिला या नहीं, इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।

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