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जहां चुनाव वहां नहीं होंगे कोई  बदलाव, 2024 के लिए BJP तैयार  समझें PM की  क्या है रणनीति ?

(शशि कोन्हेर) : भाजपा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मिशन मोड में पहले से ही थी, लेकिन अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे चुनावी मूड में भी ला दिया है। प्रधानमंत्री का यह संदेश कि कार्यकर्ता चुनावों की घोषणा और चुनाव अभियान की प्रतीक्षा किए बिना अभी से काम में जुट जाएं, इसने संगठन को भी तैयार कर दिया है। पार्टी के चुनाव प्रबंधकों ने कमर कस ली है।

बैठक में जुटे राज्यों के पार्टी अध्यक्ष व संगठन मंत्री केवल भाषण सुनकर नहीं गए हैं, बल्कि बड़े टास्क के साथ रवाना हुए हैं, जिसकी उन्हें लगातार रिपोर्टिंग भी करनी होगी। पार्टी ने मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव तक बढ़ाकर साफ कर दिया है कि उसका चुनावी मिशन अपनी गति से बिना बाधा के चलेगा।

पार्टी के एक बड़े नेता ने यह भी साफ कर दिया है कि जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां पर संगठन में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इससे त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड व कर्नाटक में किसी तरह के संगठनात्मक बदलाव की संभावना नहीं है, लेकिन उसके बाद वाले राज्यों के मामले जेपी नड्डा तय करेंगे।

बैठक में प्रदेश अध्यक्षों व संगठन मंत्रियों को साफ कर दिया गया है कि वह अपना चुनावी अभियान शुरू कर दें। प्रधानमंत्री ने जो संदेश दिया है कि किस तरह से काम करना है, उस पर तेजी से अमल करें। मसलन युवा, अल्पसंख्यक व महिलाओं पर ज्यादा जोर देना है। इस बैठक में पार्टी ने अपनी दूसरी पंक्ति के नेताओं को खड़ा किया, जिन्होंने प्रस्ताव तैयार किए और उनको रखा। बड़े नेताओं को मीडिया के मोर्चे पर लगाया। बैठक में प्रधानमंत्री खुद पूरे समय मौजूद रहे, जिससे पूरी गंभीरता के साथ हर विषय पर चर्चा हुई।

बैठक में दो दिन के रणनीतिक मंथन में विभिन्न राज्यों की रिपोर्टिंग में कई बार प्रधानमंत्री ने हस्तक्षेप भी किया। जहां लड़ाई कड़ी व बड़ी है, वहां हौसला भी बढ़ाया और जो बेकार की बयानबाजी कर रहे हैं, उनकी क्लास भी ली। पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के नेताओं व कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया गया।

गुजरात की जीत को लेकर हुए प्रस्तुतीकरण में प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल को पूरी कार्यकारिणी से अभिनंदन मिला। यह अन्य राज्यों के लिए भी संदेश है कि आगे किस तरह से काम करना है। प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि वह पूरी तरह से उपलब्ध हैं, राज्यों को उनका अधिकतम उपयोग करना होगा।

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