बिलासपुर

कहां हैं प्रबंधन..अमानवीयता- सिम्स पर करोडों रूपए खर्च करता है शासन.. पर उस प्रसूता को ना लिफ्ट मिली और न व्हीलचेयर… जचकी के 2 घंटे बाद ही 2 टांके लगे होने के बावजूद सीढ़ियों से पैदल ही नीचे वार्ड तक ले गई नर्स

(शशि कोन्हेर के साथ सीता टण्डन) : बिलासपुर। आप कल्पना कर सकते हैं उस महिला की पीड़ा की.. जिसे जजकी होने के 2 घंटे बाद ही पांचवी मंजिल पर स्थित लेबर वार्ड से पहले मंजिल पर स्थित अपने वार्ड तक नीचे जाने के लिए ना तो लिफ्ट की सुविधा मिली और ना व्हीलचेयर.. दो टांके लगे होने की हालत में ही उसे ऊपर लेबर वार्ड से नीचे वार्ड तक सीढ़ियों से पैदल उतार लाई नर्स.. समझ से परे है कि जिस सिम्स पर शासन करोड़ों रुपए खर्च करता है। वहां डिलीवरी के लिए भर्ती होने वाली महिलाओं को टांके लगी हालत में डिलीवरी के 2 घंटे बाद ही ऊपर लेबर वार्ड से चार मंजिल नीचे अपने वार्ड तक सीढ़ियों से पैदल आने को मजबूर किया जाता है। इस महिला को 27 फरवरी को प्रसव के लिए सिम्स में भर्ती कराया गया था। उसी दिन, रात को 12 बजे पांचवी मंजिल पर स्थित लेबर वार्ड में उसने कन्या शिशु को जन्म दिया। क्योंकि कन्या शिशु का वजन सामान्य से अधिक (3.50 किलो) था। और महिला की पहली डिलीवरी थी।

इसलिए प्रसव के दौरान दो टांके लगाए गए। प्रसव के बाद उसे जब नीचे पहली मंजिल पर स्थित अपने वार्ड में ले जाया जाने लगा। तो उसे ले जा रही नर्स ने बताया कि हॉस्पिटल की लिफ्ट खराब है। किसी ने उसको धक्का मार कर बिगाड़ दिया है। इसके बाद प्रसूता ने व्हीलचेयर की मांग की। तो उसे व्हीलचेयर भी नहीं उपलब्ध कराई गई। और नर्स उसे सीढ़ियों से पैदल चलाती हुई पांचवी मंजिल से नीचे उतार कर उसके वार्ड तक ले आई।

आप अंदाजा लगा सकते हैं कि डिलीवरी के 2 घंटे बाद ही 2 टांके लगे होने की स्थिति में उस महिला को पांचवी मंजिल से नीचे पहली मंजिल तक पैदल जाने में किस कदर पीड़ा झेलनी पड़ी होगी। अगर इतना बड़ा सफेद हाथी की तरह बना सिम्स किसी प्रसूता महिला को व्हीलचेयर तक उपलब्ध नहीं करा पा रहा है तो इसके लिए सिम्स प्रबंधन को चुल्लू भर पानी में डूब कर मर चाहिए।

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