जहाँ किया जाता हैं बीमार का इलाज उसे लग गया रोग….
(धीरेंद्र मेहता) : बिलासपुर – लोगों का इलाज करने के लिए बनाया अस्पताल, खुद बीमार पड़ जाए तो क्या कीजियेगा। यह हाल है बिल्हा अस्पताल का। अस्पताल में डॉक्टर और दवा दोनों की कमी लंबे समय से बनी हुई है।
एशिया के सबसे बड़े विकासखंड बिल्हा में समस्याओं का अंबार लगा है। यहाँ के 50 बिस्तरो वाले सरकारी अस्पताल मे बीमारों कि तिमारदारी नही हो पा रही है. अब अस्पताल ही बीमार पड़ जाये तो मरीजों कि क्या हालत होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
डॉक्टरों की कमी तो लंबे समय से बनी हुई है अब गर्भवती माताओ को यहाँ से कैल्शियम टेबलेट मिलना बंद हो गया है आपूर्ति नही करने से मरीजों के लिए बेटाडिन, एंटीबायोटिक हीमोक्सीन, कान का ड्रॉप जैसी कई दवाइयां यहां उपलब्ध नहीं है जिससे आने वाले मरीजों को बाहर निजी दुकानों से इसे खरीदना पड़ता है। मरीजो कि बात करें तो, इलाज से पहले अस्पताल में उन्हें घंटो लाइन लगाना पड़ता है. पर्ची के लिए एक ही काउंटर के होने से महिला पुरुष दोनों को एक ही लाइन में खड़ा होना पड़ता हैं। तमाम बातों को लेकर बिल्हा बीएमओ एसके गुप्ता से बात की गई तो क्या जवाब मिलता है जरा भी सुनिए।
50 बिस्तर वाले इस अस्पताल में मरीजों की संख्या के मुकाबले सुविधाएँ बेहद कम है. आसपास के सौ से ज्यादा गांव अस्पताल पर निर्भर है ऐसे में डॉक्टरों की कमी से गभीर बात है.अगर व्यवस्था जल्दी ठीक नहीं किया गया तो सरकारी अस्पताल से मरीज का विश्वास उठने लगेगा।