महिला आरक्षण बिल का किन दो सांसदों ने किया विरोध, एक ओवैसी और दूसरा कौन
(शशि कोन्हेर) : नारीशक्ति वंदन विधेयक’ को लोकसभा ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इसमें संसद के निचले सदन (लोकसभा) और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान शामिल है। इससे संबंधित ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर करीब आठ घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा ने 2 के मुकाबले 454 वोट से अपनी स्वीकृति दी। जिन दो लोगों ने महिला आरक्षण बिल के खिलाफ वोट किया वे दोनों ही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद हैं।
इम्तियाज जलील ने किया विरोध?
AIMIM के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक का खुलकर विरोध किया। इसके अलावा, उनकी ही पार्टी के सांसद सय्यद इम्तियाज जलील ने भी बिल के विरोध में वोट किया है। इम्तियाज जली महाराष्ट्र के औरंगाबाद से लोकसभा सांसद हैं। बिल पर मतदान के दौरान ओवैसी ने कुछ संशोधन भी पेश किए।
लेकिन हर बार उनके संशोधन ध्वनि मत के साथ अस्वीकार कर दिए गए। लोकसभा में पास हुए महिला आरक्षण बिल पर AIMIM सांसद असदुद्दीन औवेसी ने बाद में कहा, ”4 ऐसी लोकसभाएं रही हैं, जहां कोई मुस्लिम महिला सांसद नहीं थीं… हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए।”
आठ घंटे की चर्चा
इस बिल में देश की राजनीति पर व्यापक असर डालने की क्षमता है। इससे संबंधित ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर करीब आठ घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा ने 2 के मुकाबले 454 वोट से अपनी स्वीकृति दी। सदन में कांग्रेस, सपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने विधेयक का समर्थन किया।
हालांकि असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने विधेयक का विरोध किया। सदन में ओवैसी समेत एआईएमआईएम के दो सदस्य हैं। विधेयक पारित किए जाने के दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे।
‘सवर्ण महिलाओं का प्रतिनिधित्व’
इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान, असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि सरकार संसद में सिर्फ ‘सवर्ण महिलाओं’ का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है तथा उसे अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) एवं मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की चिंता नहीं है। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के प्रावधान वाले ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर निचले सदन में चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने यह दावा भी किया कि यह विधेयक समावेशी नहीं है और यह कुछ खास लोगों के लिए है। उन्होंने सवाल किया कि ओबीसी और मुस्लिम समुदायों के लिए आरक्षण का प्रावधान क्यों नहीं किया गया?
ओवैसी के अनुसार, संसद में ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। उनका कहना था, ‘‘प्रधानमंत्री ओबीसी हैं, लेकिन आज सदन में ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व महज 20 प्रतिशत है।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मोदी सरकार चाहती है कि संसद में सवर्ण महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़े, ओबीसी और मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़े…सरकार चाहती है कि संसद में बड़े लोग प्रवेश करें, वह नहीं चाहती कि छोटे लोग इस संसद में प्रवेश करें।’’ ओवैसी ने इस विधेयक को ‘चुनावी स्टंट’ भी करार दिया