हम कौन होते हैं शहर और सड़क का नाम बदलने वाले….? जानिये सीजेआई चंद्रचूड़ ने क्यों कहा ऐसा
(शशि कोन्हेर) : सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को औरंगाबाद का नाम बदलने के खिलाफ दायर अर्जी खारिज कर दी। इस दौरान तीखी टिप्पणी भी की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘हम किसी शहर या सड़क का नाम नाम बदलने वाले कौन होते हैं? यह फैसला तो चुनी गई सरकार को लेना है…’।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसे पसंद करें या ना करें लेकिन किसी भी शहर का नाम बदलने का अधिकार सरकार के लोकतांत्रिक दायरे में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अभी बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है। सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने मजाकिया अंदाज में कहा कि हाई कोर्ट तो अभी भी बॉम्बे के नाम से जाना जाता है…। उनकी टिप्पणी पर मुस्कुरा उठे।
आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले ही औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया गया था। लंबे वक्त से शहर का नाम बदलने की मांग उठ रही थी। औरंगाबाद का नाम मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर रखा गया था। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां नाम बदलने का विरोध कर रही हैं। नाम बदलने के खिलाफ पहले हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई।
भारत के संविधान के आर्टिकल 3 और 4 में किसी भी राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया का जिक्र है। आर्टिकल 3 और 4 के मुताबिक यदि सरकार किसी राज्य का नाम बदलना चाहती है तो इसके लिए संसद में विधेयक लाना पड़ता है। विधेयक से पहले संबंधित राज्य की विधानसभा से भी राय मांगी जाती है। इसके लिए एक निर्धारित समय सीमा होती। हालांकि राज्य की राय राष्ट्रपति या संसद के लिए बाध्यकारी नहीं होती। राज्य की राय के बाद विधेयक संसद में पेश किया जाता है और पास होने के बाद राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा जाता है।
ठीक इसी तरीके से किसी शहर या सड़क नाम बदलने का फैसला भी आपकी सरकार ले सकती है। इसके लिए कोई जनप्रतिनिधि सरकार को प्रस्ताव दे सकता है। जनता भी मांग उठाती है तो इस मांग पर भी सरकार विचार कर सकती है।
आजादी के बाद से भारत में 21 राज्यों के 244 जगहों के नाम बदले जा चुके हैं। हाल के दिनों में सर्वाधिक विवाद उत्तर प्रदेश को लेकर रहा है, जहां फैजाबाद से लेकर इलाहाबाद जैसे कई शहरों के नाम बदले गए। लेकिन आंकड़ों पर निगाह डालें तो आजादी के बाद से अब तक आंध्र प्रदेश में अकेले सर्वाधिक 76 जगहों के नाम बदले गए। इसी तरह तमिलनाडु में 31 और केरल में 26 जगहों के नाम बदले गए। महाराष्ट्र में अब तक 18 जगहों का नाम बदला गया है।