बिलासपुर

डॉ. रेणु जोगी के इस कदम से… आखिर खुश क्यों है धर्मजीत सिंह के समर्थक..?

(शशि कोन्हेर) : बिलासपुर – आखिरकार जिस बात की सुगबुगाहट पिछले कुछ दिनों से चल रही थी वह उभर कर सामने आ ही गई। डॉ रेणु जोगी ने विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र देकर श्री धर्मजीत सिंह ठाकुर के पार्टी से निष्कासन की सूचना दे दी। सवाल यह उठता है कि अब इसके बाद आगे क्या होगा..? क्या डॉ रेणु जोगी अब अपने अलावा बचे-खुचे एक विधायक श्री प्रमोद शर्मा और अपने पुत्र अमित जोगी तथा पुत्र वधु ऋचा जोगी (हम दो-हमारे दो) के दम पर पार्टी को आगे बढ़ाएंगी। अथवा उनके पास अपने लिए कोई प्लान “बी” भी है।

लेकिन सियासत में भी सारी गोटिया आपके मन मुताबिक नहीं खिसकतीं.. वहां भी… मेरे मन कुछ और है..कर्ता के मन कुछ और.. ,..! एक बात समझ से परे है कि रविवार को हुए इस सियासी घटनाक्रम से श्री धर्मजीत सिंह के बिलासपुर-रायपुर, तखतपुर और लोरमी-मुंगेली तक फैले धर्मजीत सिंह के समर्थक आखिर इतने खुश क्यों है..? जाहिर है कि इस सवाल का जवाब, अभी ना तो श्री धर्मजीत सिंह देंगे और न उनके समर्थक। फिर लोरमी विधायक का अगला कदम क्या होगा..?

इसी तरह जोगी कांग्रेस और उनकी सर्वे सर्वा डॉ रेणु जोगी तथा उनके पुत्र अमित जोगी का अगला सियासी पैंतरा क्या होगा..? इन सवालों की तरह, कुछ और भी राजनीतिक सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब आने वाले दिनों में सामने निकल कर आ सकता है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि अपनी पार्टी के मुखर चेहरे और दिग्गज विधायक श्री धर्मजीत सिंह के खिलाफ कार्यवाही कर डॉ रेणु जोगी कहीं अपनी किसी सोची समझी योजना को तो अंजाम नहीं दे रही हैं..? वैसे प्रदेश की राजधानी में रेणु जोगी की कुछ कांग्रेस नेताओं से निकटता और धर्मजीत सिंह की भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से दिनों दिन बढ़ती मेल मुलाकात को लेकर कई तरह की चर्चाएं, पिछले कई दिनों से चल रही है।

हालांकि अभी तक अपनी पार्टी के अगले कदम के बारे में डॉक्टर रेणु जोगी ने कुछ भी नहीं कहा है। इसी तरह सर्वप्रिय विधायक श्री धर्मजीत सिंह ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। रविवार रात को पूछने पर भी उन्होंने सीधे-सीधे कहा था कि…जो कुछ भी हुआ है..उसकी उन्हें जानकारी नहीं है। वे पहले इसकी जानकारी लेने के बाद ही आगे कुछ बात कहेंगे। हालांकि कई बार के विधायक श्री धर्मजीत सिंह के समर्थक बीते कुछ अर्से से जोगी कांग्रेस में खुद को असहज पा रहे थे। “वन मैन आर्मी” कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री अजीत जोगी के निधन के बाद वैसे भी उनकी पार्टी (सीजेजेसी) में ऐसा कुछ रह भी नहीं गया है…जो उसमें शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए राजनीतिक संभावनाओं का जोश पैदा करे।

समय से पहले ही इसी कड़वी सच्चाई की आहट पाने के बाद जोगी कांग्रेस की नाव से एक एक कर नेता कार्यकर्ता उतरने लग गये थे। आपको यहां याद दिला दें कि जोगी कांग्रेस से कुल 5 विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे।। इन 5 विधायकों में से स्वर्गीय अजीत जोगी और स्वर्गीय देवव्रत सिंह का निधन हो चुका है। वहीं धर्मजीत सिंह के निष्कासन के बाद अब जोगी कांग्रेस में केवल दो विधायक ही शेष रह गए हैं। जिनमें से एक बलौदा बाजार के विधायक श्री प्रमोद शर्मा के बारे में भी जिस तरह की खबरें चर्चा में हैं उससे नहीं लगता कि श्री प्रमोद शर्मा के समर्थक भी जोगी कांग्रेस में अब और अधिक दिनों तक रहने के मूड में हों। स्वर्गीय अजीत जोगी के बहुत से ऐसे समर्थक नेता जो उनकी पार्टी में कमांडर हुआ करते थे। वे पहले ही कांग्रेस की शरण में जा चुके हैं। लेकिन ऐसा नहीं लग रहा था कि धर्मजीत सिंह की खुद्दारी उन्हे भी ऐसा कुछ करने देगी । बीते 1 साल से उनके भाजपा से रिश्तो को लेकर अगर चर्चाएं की जा रही थीं। तो वहीं डॉक्टर रेणु जोगी की भी कांग्रेस के चंद नेताओं से बढ़ती सियासी नज़दीकियों के सपने भी लोगों को आने लगे थे। यह अलग बात है कि इस बारे में ना तो धर्मजीत सिंह ने कभी कुछ कहा और ना डॉक्टर रेणु जोगी ने।

लेकिन डॉ रेणु जोगी की रविवार की कार्यवाही ने धर्मजीत सिंह और उनकी सियासी राहें जुदा-जुदा कर दी हैं। धर्मजीत सिंह के नजदीकी लोगों का कहना है कि निष्कासन की इस कार्रवाई ने उन्हें आगे का निर्णय लेने के लिए (धर्मजीत सिंह को) पूरी तरह आजाद कर दिया है।‌ अब वे अपनी भावी सियासत की इबारत, एक विधायक के रुप में ही लिख सकते हैं। अभी छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को 13 माह बाकी हैं। इस बीच प्रदेश में इधर-उधर जाने और आने की और भी अनेक घटनाएं हो सकती हैं।

हालांकि हम यह नहीं कहते की डा रेणू जोगी ने जो कार्रवाई की है उसे इधर-उधर आने जाने से जोड़ा जा सके। लेकिन प्रदेश में लोगों की जुबान पर तैर रही चर्चाओं मे जोगी कांग्रेस के कुछ नेताओं के “उधर” जाने और कुछ नेताओं के “इधर” जाने की बात की रही है।‌ ऐसे में जोगी परिवार के थिक टैंक अमित जोगी को अपनी सियासत का तंबू संभालने की चिंता होनी ही चाहिए। वरना उनकी हालत शोले फिल्म के उस जेलर (असरानी) की याद ताजी कर सकती है.. जो अपने सिपाहियों से कहता है कि….. आधे इधर जाओ और आधे उधर जाओ…और… बाकी जो बचे हैं, वो मेरे पीछे आओ…! अभी डॉ रेणु जोगी और श्री धर्मजीत सिंह की भावी कवायद को लेकर सस्पेंस भले ही बना हुआ है। लेकिन छत्तीसगढ़ में इन बातों को लेकर काफी पहले से लोगों के बीच तरह-तहह की चर्चाओं, अनुमानों एवं दावों का सिलसिला आम हो गया था।… और लोकतंत्र के मंदिर में नेताओं की प्राण प्रतिष्ठा करने वाली जनता को ऐसी चर्चाएं करने से रोका भी नहीं जा सकता। आखिर छत्तीसगढ़ी में कहा भी गया है कि..मरकी (मटकी) के मुंह बंद करे बर तैं, ओकर मुंह मां परई रख देबे..पर मनखे के मुंह मां का रखबे…..,? लिहाजा पेंड्रा मरवाही और कोटा से लेकर बिलासपुर, रायपुर दुर्ग तक किसी के कांग्रेस में तो और किसी के भाजपा में जाने को लेकर चर्चाएं होती ही रहेंगी। वैसे भी आगामी विधानसभा चुनावों की निकटता के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक आवागमन और अधिक तेज होता चला जाएगा.. ऐसा चुनावी मौसम के जानकार भी बता रहे हैं..!

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