कश्मीर पर जहर उगलने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री को भारत ने क्यों दिया न्यौता..?
(शशि कोन्हेर) : पाकिस्तान अपनी अड़ियल और भारत विरोधी प्रवृत्ति के चलते कई तरह के संकट झेल रहा है।आर्थिक बदहाली से जूझ रहा पाकिस्तान एक ओर तो यह यह मान चुका है कि उसे भारत के साथ शांति से रहना है। मुल्क के वजीर-ए-आजम भी स्वीकार कर रहे हैं कि पाकिस्तान पिछले तीन युद्धों से सीख चुका है। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने कश्मीर को लेकर अपनी काडीबाजी अभी भी जारी रखी हुई है।
इसी बीच खबर है कि भारत ने पड़ोसी पाकिस्तान को गोवा में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक का न्योता भेजा है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर अभी कुछ नहीं कहा गया है। भारत ने इस्लामाबाद को गोवा में होने वाले शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) फॉरेन मिनिस्टर्स मीटिंग में बुलाया है। कहा जा रहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के जरिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को गोवा आमंत्रित किया है।
अब अगर पाकिस्तान की तरफ से भारत का न्यौता स्वीकार होता है, तो बीते करीब 12 सालों के बाद पहली पड़ोसी मुल्क का मंत्री भारत आएगा। इससे पहले साल 2011 में हीना रब्बानी खार भारत आईं थीं। भारत और पाकिस्तान के अलावा SCO में चीन, रूस, कजकस्तान, किर्गिस्तान, तजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान भी शामिल है।
एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक ‘पड़ोसी पहले की नीति को बनाए रखते हुए भारत, पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंध चाहता है। भारत का लगातार मत यही रहा है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मुद्दे हैं, तो उनको आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल में द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा अनुकूल माहौल तैयार करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है। यह साफ कर दिया गया है कि भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं करेगा और भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने की सभी कोशिशों के लिए ठोस और निर्णायक कदम उठाएगा।’
भारत की तरफ से आखिरी बार साल 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गईं थी। उस दौरान वह इस्लामाबाद में आयोजित हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में शामिल हुईं थी। साल 2016 में पठानकोट, उरी और 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध कमजोर हो गए थे।