यूपी में अब हर दल क्यों गा रहा है..? मुझे अपनी शरण में ले लो, राम..!!
(शशि कोन्हेर) : नई दिल्ली – ‘अभी एक डेढ़ साल पहले तक राम मंदिर निर्माण की मांग को, और ऐसी मांग करने वाले राजनीतिक दल भाजपा को सांप्रदायिक कहने वाली तमाम पार्टियां, आज भगवान श्रीराम के शरण में दिखाई दे रही है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरने वाली सभी प्रमुख पार्टियों को एकाएक ऐसा लगने लग गया है कि इस चुनाव की वैतरणी केवल और केवल भगवान श्रीराम ही पार करा सकते हैं.. इसलिए भारतीय जनता पार्टी समेत सभी राजनीतिक मोहम्मद रफी का यह गाना गाते हुए दिखाई दे रही हैं..”मुझे अपनी शरण में ले लो राम”… मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का नाम, इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति का सच बन गया है। यही वजह है कि राम मंदिर के घोर विरोधी असदुद्दीन ओवैसी हो या बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो, मायावती… सभी को भगवान श्री राम की याद आ रही है। कारसेवकों पर गोलियां चलाने वाले के आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के पुत्र समाजवादी पार्टी के सर्वे सर्वा और पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव भी राम-राम जपने में लगे हुए हैं। भगवान राम को काल्पनिक बताने वाली देश की एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी भी इस समय प्रभु श्री राम का वजूद स्वीकार कर उनके शरण में जाकर यही गाना गाते दिख रहे हैं…मुझे अपनी शरण मे ले लो राम..!!
बहरहाल, सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का राम लला की जन्म भूमि अयोध्या पहुंचने का तांता लगा हुआ है। हालत यह है कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा के प्रमुख नेता सतीश चंद्र मिश्रा, तेजतर्रार मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी अयोध्या और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी अयोध्या पहुंच कर भगवान श्री राम दर्शन कर रहे हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं में उमड़ा भगवान राम का प्रेम देखने के लायक है।
वहीं राम मंदिर आंदोलन के सहारे सत्ता के शिखर पर पहुंची भाजपा, विपक्षी दलों के बदले रवैयों को अपनी जीत बता रही है। उनके नेताओं का कहना है हमारे लिए तो राम आस्था का प्रतीक हैं। इसलिए ही उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ करीब 29 बार अयोध्या जा चुके हैं। और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण के भूमि पूजन से लेकर कई मौके पर अयोध्या पहुंचते रहे हैं। 2 बरस पहले तक जो लोग जो लोग सरेआम अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग को सांप्रदायिक कहा करते थे। वही नेता अब कह रहे हैं कि भगवान राम हमारे भी है.. वो केवल भाजपा की जागीर नहीं है। देखना यह है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में रामलला कौन सी पार्टी और किन नेताओं पर मेहरबान होते हैं।