ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को क्या मिलेगी इजाजत..? इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आज
(शशि कोन्हेर) : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे के खिलाफ दाखिल याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया था. इसका फैसला तीन अगस्त यानी कल सुनाया जाएगा. इस फैसले का सभी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. तब तक सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट से लगी रोक बरकरार रहेगी. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी की प्रबंध समिति की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया था.
दरअसल, कोर्ट में दोनों पक्षों की लगातार दो दिन बहस चली. दोनों तरफ से दलील पेश की गईं. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपने फैसलों को रिजर्व कर लिया था. अब तीन अगस्त को कोर्ट अपना फैसला दोपहर बाद सुनाएगी.
कोर्ट में एएसआई ने क्या कहा?
कोर्ट आए एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आलोक त्रिपाठी ने साफ कर दिया था कि सर्वे से निर्माण को कोई नुकसान नहीं होगा. साइंटिफिक सर्वे में अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल होगा. अपर सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह ने दाखिल हलफनामे को उद्धृत किया.
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी व पुनीत गुप्ता ने एएसआई अधिकारियों के कुदाल, फावड़े के साथ आने की फोटोग्राफ दिखाते हुए सर्वे से भवन के ध्वस्त होने की आशंका जताई. उन्होंने कहा था कि सर्वे आदेश समय पूर्व दिया गया है. साक्ष्य पूरा होने के बाद सर्वे कराना चाहिए था. अभी सिविल वाद की ग्राह्यता की आपत्ति भी तय की जानी है.
इसके जवाब में अपर महानिदेशक ने कहा था कि तहखाने में कई जगह इकट्ठा मलबा साफ करने के लिए कुदाल फावड़ा लेकर आए थे. परिसर में किसी प्रकार की खुदाई नहीं होगी. कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कहा था कि राज्य सरकार का विवाद से कोई सरोकार नहीं है. सरकार की केवल जरूरत पड़ने पर कानून व्यवस्था कायम रखने की ही है. जिसके लिए पुलिस पीएसी, सीआईएसएफ तैनात हैं.
इस मामले में हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता शंकर जैन ने कहा था कि अदालत को किसी भी समय न्याय हित में कमिश्नर भेजकर स्थलीय जांच कराने की कानूनी शक्ति प्राप्त है. एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट के बाद वादियों ने साइंटिफिक सर्वे कराने की अर्जी दी. क्योंकि कमिश्नर रिपोर्ट में तीनों गुंबदों के नीचे हिंदू मंदिर शिखर पाया गया.
दीवार पर संस्कृत श्लोक मिले हैं, स्वास्तिक सहित तमाम हिंदू धर्म चिन्ह मिलें हैं. सिविल वाद तय करने के लिए न्याय हित में साइंटिफिक सर्वे कराना जरूरी है, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने प्राप्त शिवलिंग एरिया को छोड़कर शेष भवन का एएसआई से सर्वे रिपोर्ट मांगी है. इसे याचिका में मात्र आशंका के आधार पर चुनौती दी गई थी.
वाराणसी कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
मालूम हो कि वाराणसी के जिला जज की अदालत ने 21 जुलाई को हिन्दू पक्ष की अर्जी पर ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी.
गत मंगलवार को देर शाम एक घंटे तक सुनवाई चली. फिर बुधवार को सुबह साढ़े नौ बजे से साढ़े चार घंटे सुनवाई के बाद गुरुवार की तिथि तय हुई. गुरुवार की दोपहर करीब सवा तीन बजे मामले की सुनवाई दोबारा शुरू हुई. सबसे पहले मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के हलफनामे पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया. इसके बाद हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कोर्ट से कहा कि अगर इजाजत मिले तो कुछ फोटोग्राफ पेश करना चाहते हैं.